डीएनए हिंदी : भारतीय जनता पार्टी की नेता और अभिनेत्री सोनाली फोगाट (Who was Sonali Phogat) की मौत के सिलसिले में नया खुलासा हुआ है. उनके शरीर पर चोट के गहरे निशान पाए गए हैं. रिपोर्ट बता रही है कि उनके शरीर पर किसी चीज़ से बार-बार हमला किया गया है. इस मामले में पोस्टमार्टम के तुरंत बाद गोवा पुलिस ने उनके दो सहयोगियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है.
गौरतलब है कि सोनाली फोगाट (Sonali Phogat Death News) की मौत के बारे में पहले यह ख़बर आई थी कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चोट के बारे में जानकारी देकर पूरे मामले का रुख मोड़ दिया है. अब यहां सवाल उठता है कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से कैसे पता चला मौत का राज़? कैसे ऑटोप्सी की रपट जान जाने के कारणों के बारे में सब बता देती है? कैसे होता है पोस्ट मार्टम? आइए लेते हैं पूरी जानकारी ...
क्या है पोस्टमार्टम या Autopsy और इसका इतिहास
पोस्टमार्टम वास्तव में शव की जांच पड़ताल का काम है. शव का पोस्टमार्टम या ऑटोप्सी मौत का कारण, किसी बीमारी का दिवंगत के शरीर पर प्रभाव और बीमारी के शरीर पर काम करने की प्रक्रिया को जानने के लिए किया जाता है.
ऑटोप्सी (Autopsy) शब्द ग्रीक लफ्ज़ ऑटोपसिआ से लिया हुआ है. इसका अर्थ होता है, 'अपने लिए देखना/जानना'. माना जाता है कि इसकी शुरुआत अलेक्सेंडर या सिकंदर के दरबार के चिकिस्तकों हेरोफिलुस और एरासिस्ट्रॉट्स ने 300 ईसा पूर्व सबसे पहली बार पोस्टमार्टम किया था. उसके बाद लगभग 200 ईसा पूर्व ग्रीक फिजिशियन गैलेन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मृतक के शरीर के ज़रिये बीमारी और उससे शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया था. कहा जाता है कि रोमन वैज्ञानिक और चित्रकार लेओनार्दो द विन्ची ने लगभग तीस मृत शरीरों को खोलकर उसकी जांच की थी. पहली फोरेंसिक और लीगल ऑटोप्सी के बारे में कहा जाता है कि वह 1302 ईस्वी में की गई थी और इसे बोलोग्ना के एक मेजिस्ट्रेट के आदेश पर किया गया था.
क्या होती है फोरेंसिक ऑटोप्सी या पोस्टमार्टम
फोरेंसिक या लीगल ऑटोप्सी (Sonali Phogat Autopsy) विशेष तरह की होती हैं. इसमें केवल मृत्यु के कारणों का पता ही नहीं लगाया जाता है बल्कि सारे तथ्यों को जानने की कोशिश की जाती है. ज़रूरी बात यह कि शव को खोलते ही मौत के कारण का पता नहीं लगता है. इसे पता करने के लिए पोस्टमार्टम एक्सपर्ट छोटी-छोटी जानकारियों को इकट्ठा करते हैं मसलन आस-पास की अबोहवा, मृत्यु का वक़्त, परिस्थिति की जानकारी जुटाई जाती है. इसके साथ ही तमाम तरह के मेजरमेन्ट्स का ख़याल भी रखा जाता है. शव को खोलने के बाद अप्रत्याशित चोट की स्टडी की जाती है और संभावित कारणों को डॉक्यूमेंट किया जाता है.
इसमें ख़ासतौर पर मौत की परिस्थिति का विशेष ख़याल रखा जाता है ताकि अप्राकृतिक कारणों से हुई मौत के बारे में जानकारी ली जा सके. पर्याप्त सबूतों के अभाव में फोरेंसिक ऑटोप्सी में समस्या हो सकती है. प्रॉपर फोटोग्राफी को फोरेंसिक पोस्टमार्टम का मुख्य हिस्सा माना जाता है. साथ ही मृत शरीर से तमाम तरह के स्वैब लिए जाते हैं. तमाम उपलब्ध प्रमाणों का अध्ययन कर मृत्यु का समय और कारणों का पता लगाया जाता है.
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Sonali Phogat Death Mystery : फोरेंसिक पोस्टमार्टम से कैसे पता चलता है मौत का राज़, जानिए