डीएनए हिंदीः बिहार के जाने-माने पत्रकार जुगनू शारदेय का आज दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में निधन हो गया. वह निमोनिया से ग्रस्त हो गए थे और उन्हें वृद्धाश्रम की गढ़मुक्तेश्वर स्थित शाखा से दिल्ली लाया गया था. पिछले कुछ समय से वह गुमनामी में रह रहे थे. सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र रवि उनकी स्थितियों की लगातार जानकारी ले रहे थे, लेकिन उनकी मृत्यु की जानकारी आश्रम वालों ने दाह संस्कार के बाद दी क्योंकि आश्रम में पुलिस ने लावारिस बता कर भर्ती कराया था.
गुमनामी में जी रहे थे शारदेय
जुगनू शारदेय की मृत्यु के समय उनका कोई रिश्तेदार या मित्र उनके पास नहीं था. परिवार से वह बहुत पहले निकल गए थे. जुगनू शारदेय को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी जानते थे. उनकी मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. जुगनू शारदेय को धारदार लेखनी और मनमौजी जीवनशैली के लिए जाना जाता था. जिंदगी के कुछ आखिरी साल उन्होंने बीमारी और अकेलेपन में काटे. दिल्ली में जब बीमार हालत में उन्हें लक्ष्मीनगर पुलिस ने अपने संरक्षण में लिया और वृद्धाश्रम में दाखिल कराया तो कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी देखरेख की व्यवस्था के लिए बिहार के मुख्यमंत्री से अपील की, लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला.
जुगनू शारदेय की मौत के बाद नीतीश कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जुगनू शारदेय हिंदी के जाने माने पत्रकार थे. 'जन', 'दिनमान' और 'धर्मयुग' के साथ-साथ वे कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादन एवं प्रकाशन से जुड़े रहे. जंगलों से उन्हें बेहद लगाव था और जंगलों के प्रति उनका यही लगाव जीवों के प्रति लगाव में बदला. उनके निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. उनके निधन से पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है.
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