क्लिप्टोमेनिया का नाम तो सबने सुना होगा लेकिन इस बीमारी के बारे में ज्यादातर लोगों को सही जानकारी नहीं होती है. इस मानसिक बीमारी के बारे में अक्सर लोगों को इतना ही पता होता होता है कि इसमें चीजें चुराने की आदत हो जाती है. यह इस जटिल बीमारी का एक पहलू है. क्लिप्टोमेनिया के मरीज चोरी के साथ-साथ कई बार कुछ अजीब चीजें भी करने लगते हैं. जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और कैसे इसे दूर किया जा सकता है.
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क्लिप्टोमेनिया इंपल्स कंट्रोल से जुड़ी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्या है. इससे पीड़ित व्यक्ति को सामान छुपाने, चोरी करने की आदत हो जाती है. बीमारी में एक स्टेज ऐसा भी आता है जब व्यक्ति जानते हुए भी चोरी करता है और इसकी वजह से अपराधबोध में रहता है. ज्यादातर क्लिप्टोमेनिया के मरीज अकेले ही चोरी करते हैं. चोरी कहां करेंगे यह भी कुछ तय नहीं होता है. भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से जान-पहचान की जगहों से लेकर, दुकानों, मॉल और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भी चोरी करने लगते हैं.
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ऐसी समस्या से ग्रस्त लोग बिना किसी ज़रूरत या लालच के कहीं से भी कुछ चीजें उठाने लगते हैं. कई बार इसके मरीज ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें पैसों की कमी नहीं होती है लेकिन सिर्फ अपनी खुशी के लिए ऐसा करते हैं. बहुत से मरीज इन चीजों या पैसों का इस्तेमाल भी नहीं करते हैं तो कुछ उनका इस्तेमाल करते भी हैं. कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जो इन चोरी की हुई चीजों और पैसों को कहीं छुपाकर सुरक्षित जगह पर रखते हैं.
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भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी पर्याप्त जागरूकता नहीं है. अक्सर क्लिप्टोमेनिया के मरीज को मानसिक रोगी की बजाय चोर की नजर से देखा जाता है. ऐसे लोगों की पहचान जाहिर होने के बाद उन्हें समाज में कई बार प्रताड़ित भी किया जाता है. हमेशा यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि क्लिप्टोमेनिया एक तरह की बीमारी है और सही काउंसलिंग और सहयोग से इसे आराम से खत्म किया जा सकता है.
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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी काम हुआ है. अगर आप किसी ऐसे शख्स या दोस्त को जानते हैं जिसे ऐसी समस्या है तो उसे शर्मिंदा करने के बजाय किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं. काउंसलिंग के नियमित सेशन के बाद उन्हें इस बीमारी से दूर किया जा सकता है.