डीएनए हिंदी: देश में उद्योगों के विकास के लिए स्टार्ट-अप इंडिया (Startup India) योजना शुरू की गई है. हर साल हजारों स्टार्टअप को मंजूरी मिल रही है. केंद्र सरकार की ओर से तमाम स्टार्टअप को आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप में से 60 प्रतिशत स्टार्टअप देश के सिर्फ़ पांच राज्यों में सीमित हैं. 30 नवंबर 2022 तक देश में कुल 84,012 स्टार्टअप को मान्यता दी गई है. इसमें से 60 प्रतिशत स्टार्टअप सिर्फ़ महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात और उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं.
महाराष्ट्र 15,571 सरकारी मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप के साथ टॉप पर है. कर्नाटक में 9,904, दिल्ली में 9,588, उत्तर प्रदेश में 7,719 और गुजरात में 5,877 मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप हैं. सरकार ने देश में इनोवेशन और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत सिस्टम बनाने के मकसद से 16 जनवरी 2016 को स्टार्ट-अप इंडिया पहल शुरू की थी. इस पहल के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया के लिए एक एक्शन प्लान बनाया.
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फंडिंग में सरकार करती है मदद
इस एक्शन प्लान में 'सिंप्लीफिकेशन और हैंडहोल्डिंग', 'वित्त पोषण समर्थन और प्रोत्साहन' और 'उद्योग-शिक्षा साझेदारी और ऊष्मायन' जैसे क्षेत्रों में फैले कई आइटम शामिल हैं. स्टार्ट-अप इंडिया पहल के तहत, स्टार्ट-अप के बिजनेस साइकल के विभिन्न चरणों में फंडिंग के लिए सरकार ने स्टार्ट-अप्स (एफएफएस) और स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के लिए फंड ऑफ फंड्स को लागू किया है. दोनों योजनाओं को पैन-इंडिया बेसिस पर लागू किया गया है.
स्टार्ट-अप योजना के लिए फंड ऑफ फंड्स योजना को जून 2016 में 10,000 करोड़ रुपये के फंड के साथ शुरू किया गया था. एफएफएस के तहत, योजना सीधे स्टार्ट-अप में निवेश नहीं करती है, इसके बजाय यह सेबी-रजिस्टर्ड वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) को पूंजी देती है, जिसे बेटी फंड के रूप में जाना जाता है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 30 नवंबर 2022 तक 10,000 करोड़ रुपये के कोष के एफएसएस में आईएएफ को 7,527.95 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता दी गई है.
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इसके अलावा, स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम को 2021-22 से 4 साल के लिए मंजूरी दी गई है. इस योजना का उद्देश्य स्टार्ट-अप को अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है. 30 नवंबर, 2022 तक एसआईएसएफएस में 945 करोड़ रुपये के कोष में से 126 इन्क्यूबेटरों को 455.25 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 186.15 करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है.
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देश के 5 राज्यों में ही सीमित हैं 60 प्रतिशत स्टार्टअप, कुल 84 हजार कंपनियों की मिल चुकी है मंजूरी