डीएनए हिन्दी : 2020 में एक कनाडियन फ़िल्म आयी थी ‘पीसेज़ ऑफ़ वुमन’. इस फ़िल्म में एक जोड़ा अपने बच्चे की डिलीवरी करवाता है, मिड वाइफ बुलाता है फिर भी कुछ ग़लत हो जाता है. कला ज़िन्दगी की नक़ल उतारती है पर क्या ज़िन्दगी भी कला की नक़ल उतारती है?

बिल्कुल इस फ़िल्म के जैसी ही घटना हाल में नज़र आयी जब तमिलनाडु के एक व्यक्ति ने यूट्यूब देखकर पत्नी की डिलीवरी घर पर करवानी चाही. इस घटना में बच्चे की जान चली गयी और जच्चा हस्पताल में दाख़िल है.

तमिलनाडु के लोगनाथन की शादी गोमती से साल भर पहले हुई थी. डिलीवरी के वक़्त लोगनाथन ने मेडिकल सहायता लेने की जगह ख़ुद से बच्चे की डिलीवरी करवानी चाही.

इंटरनेट से बनने वाले डॉक्टर  

इस ज़माने में जब हॉस्पिटल या मेडिकल सेंटर पर ही डिलीवरी का ज़ोर दिया जाता है, लोगनाथन की यूट्यूब से डॉक्टर बनने की चाह न केवल उसके बच्चे के लिए ख़तरनाक हुई बल्कि उसकी पत्नी की ज़िन्दगी भी ख़तरे में है.

वैसे यह कोई पहली बार नहीं है जब लोग इन्टरनेट ब्राउज़ कर डॉक्टर बनने के ख़्वाब पाल लेते हैं. मुझे याद है, मैं किसी डॉक्टर के पास गयी थी. वहां एक पोस्टर लगा हुआ था. पोस्टर में दर्ज था “ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें. यू ट्यूब देखकर डॉक्टर न बनें.”

पूछने पर डॉक्टर ने बताया कि इन दिनों आने वाले लोगों में कई लक्षणों की पड़ताल पहले ही करके आते हैं. एक निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं और डॉक्टरी जांच से पहले ही बीमारी की घोषणा कर देते हैं.

इस बात पर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टर सतनाम सिंह छाबरा पहले ही बता चुके हैं कि इन्टरनेट पर बहुत सारी जानकारियाँ उपलब्ध हैं. लक्षण या symptom बहुत सी बीमारियों के एक से होते हैं. कई बार कन्फ्यूजन होता है और  बीमारियों का सही इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता है. लोग चिंता से बचने के लिए भी गूगल करते हैं पर कई बार यह चिंताओं को बढ़ा देता है.

जब हम ढूँढ़ते हैं इंटरनेट पर इलाज़  

स्मार्टफोन की उपलब्धता और बहुतायत ने भी लोगों को कई बीमारियों का इलाज़ ऑनलाइन खोजने के लिए प्रेरित किया है. एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर आर के सिंघल ने आँकड़ा देते हुए कहा था कि 25 से 40 की उम्र के लोग सबसे अधिक अपनी बीमारियों का इलाज़ इन्टरनेट पर ढूँढ़ते हैं.

लोगों द्वारा यूट्यूब या इन्टरनेट इलाज़ ढूँढने के बारे में डॉक्टर्स के पैनल का कहना है कि मेडिकल प्रोफेशनल बनने के लिए बहुत अधिक पढ़ाई कि ज़रूरत पड़ती है. चिकित्सा के क्षेत्र में दिनोंदिन नयी जानकारियाँ आती हैं. हर प्रोफेशनल को प्रैक्टिकल और थ्योरी से गुज़रना पड़ता है. इन्टरनेट को देखकर डॉक्टर बनना लगभग वही है, जैसे तारों के नाम जानकार एस्ट्रोनॉट बनना.

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गूगल नहीं है आपका डॉक्टर
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