स्पेस को लेकर शायद ही कोई ऐसा हो जिसने उसकी रहस्यमय दुनिया के बारे में नहीं सोचा हो. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि क्या ब्रह्मांड में किसी और ग्रह पर जीवन है? क्या पृथ्वी के बाहर की दुनिया भी ऐसी ही है या हम अकेले हैं? सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले कुछ ग्रह हैं और अरबों किमी की दूरी पर स्थित हैं. ये ग्रह मिलकर हमारे Solar System का निर्माण करते हैं. अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इस खगोलीय सीमा से बाहर जाकर नए ग्रहों की खोज की है. जानें क्या है नए रिसर्च में.
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नासा ने नए ग्रहों की खोज की है और पुष्टि की है कि अंतरिक्ष की गहराई में 5000 से अधिक ग्रह मौजूद हैं जिनकी खोज होना अभी बाकी है. नासा ने अंतरिक्ष की खोज में एक नया मुकाम बनाया है. नासा के मुताबिक, 65 नए ग्रहों की खोज के साथ नासा ने हमारे सौर मंडल से बाहर तारों के चक्कर लगाते कुल 5000 से अधिक खगोलीय पिंडों की मौजूदगी की पुष्टि की है. नासा एक्सोप्लैनेट अर्काइव ने अध्ययन के लिए 65 नए ग्रहों की खोज की है जिन पर पानी, सूक्ष्मजीव, गैसें या शायद जीवन मौजूद हो सकता है.
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नासा ने कहा कि हर ग्रह अपने आप में एक नई दुनिया है, एक नया ग्रह है. खोजे गए 5000 एक्सोप्लैनेट की संरचना और विशेषताएं एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं. इनमें से कुछ पृथ्वी की तरह के छोटे और चट्टानी ग्रह हैं. कुछ ऐसे भी एक्सोप्लैनेट मिले हैं जो बृहस्पति से कई गुना बड़े हैं और गैसीय ग्रह हैं. कुछ ऐसे भी ग्रह हैं जो अपने तारों की बेहद करीब से परिक्रमा करते हैं और इस वजह से बेहद गर्म ग्रह हैं. इनमें 'सुपर अर्थ' जैसे ग्रह भी हैं जो हमारी पृथ्वी से कई गुना बड़े और चट्टानी हैं और 'मिनी-नेप्च्यून्स' भी हैं जो हमारे सौर-मंडल के नेप्च्यून से भी छोटे हैं.
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सवाल यह है कि 'क्या हम अकेले हैं या नहीं?' इसका जवाब है- हां, हम (पृथ्वी) अकेले हैं. दुनिया भर के खगोलविदों का मानना है कि निकट भविष्य में इस बात की प्रबल संभावना है कि हमें अंतरिक्ष की गहराइयों में जीवन जैसा कुछ मिल सकता है. जीवन की खोज के लिए उम्मीदवार ग्रहों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि अभी तक इन नए ग्रहों पर कोई ठोस अध्ययन नहीं हो पाया है.
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अभी तक के अध्ययन के मुताबिक, नासा की इस रिसर्च का कहना है कि इनमें से किन ग्रहों पर जीवन है या उम्मीद है, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. फिलहाल बड़े पैमाने पर अध्ययन की जरूरत हैं जिससे इन ग्रहों के बारीक से बारीक पहलू और विशेषताओं को समझा जा सके.
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पेन स्टेट के प्रोफेसर अलेक्जेंडर वोलजन जो अभी भी एक्सोप्लैनेट की खोज कर रहें हैं ने भी माना कि अभी इस दिशा में काफी अध्ययन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि हम स्पेस रिसर्च के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं. इस रिसर्च का उद्देश्य महज नई दुनिया को पेश करने तक सीमित नहीं होगा. हम ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस), जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था के तहत अभी भी नए एक्सोप्लैनेट ढूंढ़ रहे हैं. इसके अलावा, हम नए ग्रहों में पानी की गुंजाइश, गैसों का मिश्रण, उनकी विशेषता वगैरह का अध्ययन कर रहे हैं.