डीएनए हिंदीः काशीविश्वनाथ (Kashi Vishwanath) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के बाद ताज महल (Taj Mahal) का मामला गर्माता जा रहा है. ताजमहल के 22 रहस्यमयी दरवाजों को खोलने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. याचिका में मांग की गई है कि इन बंद कमरों की वीडियोग्राफी कराई जाए. एक कमेटी बनाकर कमरों में देवी-देवताओं से जुड़े साक्ष्य तलाशे जाएं. ताजमहल के बंद कमरों में मंदिर के सबूत का दावा किया गया है.
किसने दाखिल की है याचिका?
यह याचिका डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि 1951 और 1958 में बने कानून संविधान के प्रावधानों के विरूद्ध हैं. ऐसे में इन्हें खत्म किया जाना चाहिए. दरअसल इसी कानूनों के जरिएताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किले को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था. इस याचिका में ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा किया जा रहा है.
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1934 में खुले थे ताजमहल के कमरे
ताजमहल के जिन 22 कमरों को लेकर याचिका दाखिल की गई है वह दशकों से बंद हैं. इस मामले में इतिहासविदों का कहना है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है. उनका कहना है कि यह कमरे मुगल काल से बंद हैं. आखिरी बार इन कमरों को 1934 में खोला गया था. तब यहां केवल निरीक्षण किया गया था. उसके बाद से ये बंद हैं. ताजमहल में चमेली फर्श पर यमुना किनारे की ओर जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी है. इन सीढ़ियों को ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया गया है. बताया जाता है कि 40 से 45 साल पहले तक यहां जाने का रास्ता था लेकिन बाद में इन्हें बंद कर दिया गया.
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Taj Mahal के 22 रहस्यमयी दरवाजे खोले जाएं या नहीं? आज इलाहाबाद HC में होगी सुनवाई