डीएनए हिंदी: उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हुई बर्बर हत्या की निंद पूरे देश में हो रही है. दोनों आरोपियों को अरेस्ट भी कर लिया गया है. हालांकि, परिवार अपने मुखिया को खोने का सदमा शायद ही कभी भूल सके. बुधवार को कन्हैया के अंतिम संस्कार में शहर भर से लोग जुटे थे और परिवार को ढाढ़स बंधाने की कोशिश की थी. कन्हैया के दोनों बेटों ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनके पिता के हत्यारों को फांसी की सजा मिले.
पिता की दुकान पर कभी नहीं जाएंगे बेटे
उदयपुर के अशोक नगर शमशान घाट पर कन्हैयालाल का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. बड़े बेटे तरुण ने मुखाग्नि दी और छोटे बेटे यश ने भी नम आंखों से पिता को अंतिम विदाई दी थी. दोनों बेटे अपने पिता को खोने के सदमे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. कन्हैयालाल के छोटे बेटे यश ने कहा कि वह कभी पिता की दुकान पर नहीं जाएंगे. 18 साल के यश ने कहा कि मालदा स्ट्रीट के पास भूत महल इलाके में पिता की दुकान थी. यश ने कहा, 'मैं कभी लौटकर उस दुकान में नहीं जाना चाहता हूं जहां मेरे पापा को बेरहमी से मार डाला गया. मेरे पिता उस दुकान को चलाते थे… मेरी फिर से उस जगह पर जाने की कोई इच्छा नहीं है. यह बंद रहेगा.'
कन्हैयालाल की दुकान का नाम सुप्रीम टेलर था और इसी दुकान में उनकी हत्या की गई थी. दुकान को फिलहाल पुलिस ने सील कर रखा है. घटनाक्रम की जांच के लिए दुकान से अहम साक्ष्य जुटाए जा सकते हैं.
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सवालों के घेरे में पुलिस की भूमिका
कन्हैयालाल के दोनों बेटों तरुण और यश ने उदयपुर पुलिस पर लापरवाही का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि पापा को जान का खतरा था और उन्होंने पुलिस से इसकी शिकायत भी की थी. अगर पुलिस ने उनकी सुरक्षा नहीं हटाई होती तो वह अभी जिंदा होते.
बता दें कि सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट के बाद कन्हैयालाल को अरेस्ट किया गया था और फिर जमानत पर छोड़ दिया गया था. कन्हैयालाल और दूसरे पक्ष के बीच समझौता भी पुलिस ने करवाया था. पुलिस ने कुछ दिन के लिए दुकान बंद करने का निर्देश दिया था और कन्हैया ने दुकान बंद रखी थी.
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परिवार ने की फांसी की मांग
कन्हैया के परिवार ने कहा कि उनके हत्यारों को फांसी मिलनी चाहिए. बता दें कि आज पीड़ित परिवार से मिलने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उदयपुर पहुंच रहे हैं. राजस्थान सरकार की ओर से परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जा रहा है.
कन्हैयालाल की बर्बर हत्या की निंदा मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं ने भी की है. अजमेर दरगाह प्रमुख ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के लिए सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है.
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