डीएनए हिन्दी: बिहार के सीवान में एक ऐसा मंदिर है जिसमें ना ही भगवान की मूर्ति है और ना ही कोई तस्वीर, फिर भी इस मंदिर में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर को भाई और बहन के प्रेम का प्रतिक माना जाता है. यहां पर भाई और बहन की पूजा की जाती है. यह प्राचीन मंदिर भैया-बहिनी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है.
महाराजगंज अनुमंडल के दरौंदा प्रखंड के भीखाबांध गांव में स्थित इस मंदिर में रक्षाबंधन को लेकर पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बहन मंदिर में बने मिट्टी के पिंड और मंदिर के बाहर लगे बरगद के पेड़ों की पूजा कर अपने भाइयों की सलामती,उन्नति और लम्बी उम्र की कामना करती हैं.
इस मंदिर में एक अनोखी तस्वीर भी देखने को मिली. जहां एक मासूम छात्र प्रतिदिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल ड्रेस पहने हुए साइकिल से इस मंदिर पर पूजा करने पहुंच जाता है और अपनी बहन के सलामती,उन्नति और दीर्घायु होने के लिए कामना करता है.यह तस्वीर वाकई में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों और प्यार की अनूठी मिसाल है.
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गौरतलब है करीब 6 बीघे के जमीन में चारों ओर से बरगद के पेड़ों के बीच बने इस भैया-बहिनी मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि मुगल काल में इस तरफ से गुजर रहे दो भाई-बहनों ने डाकुओं और बदमाशों से अपने को बचाने के लिए धरती के अन्दर समाधी ली थी.
कालांतर में दोनों की समाधियों पर दो बरगद के पेड़ उग आए जो कि आपस में एक दुसरे से जुड़े थे. लोगो ने बरगद के पेड़ को उन्हीं भाई-बहनों का रूप मान लिया और वहां एक छोटा सा मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी. जो धीरे-धीरे बहनों के आस्था का केंद्र बन गया.
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भाई-बहन के अटूट प्रेम के लिए जाना जाता है बिहार का यह मंदिर, जानें इसके बारे में सबकुछ