डीएनए हिंदी: राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस (Congress) को बांधकर रखने में सक्षम अशोक गहोलत (Ashok Gehlot) हैं. कांग्रेस आलाकमान यह बात जानती है, तभी तमाम मन-मुटावों के बाद भी अशोक गहलोत की सिफारिश की जा रही है. अशोक गहलोत, कैप्टन अमरिंदर (Captain Amarinder Singh) नहीं हैं, जो सोनिया गांधी के कहने पर अपना इस्तीफा सौंप देंगे और राज्य की कमान किसी दूसरे को सौंपने के लिए तैयार हो जाएंगे. मौजूदा सियासी समीकरण यही कह रहे हैं. तभी अजय माकन से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तक अशोक गहलोत को समझा रहे हैं, बातचीत के लिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन गहलोत हैं कि टस से मस नहीं हो रहे हैं.

राजस्थान कांग्रेस की कलह खत्म करने के लिए जितने स्तर की बैठक की, नतीजा एक ही निकला कि वह सचिन पायलट को अपनी सियासी कमान नहीं सौंपेगी. कांग्रेस भी अब तक अशोक गहलोत के कद का दूसरा नेता राज्य में खोज नहीं पाई है. ये साफ इशारा कर रहे हैं कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी अशोक गहलोत सत्ता किसी और को नहीं देने वाले.

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क्या है अशोक गहलोत का चार्म जो इतना मना रही है पार्टी?

अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहते हैं. गहलोत के पास 92 मौजूदा विधायकों का समर्थन है. ये विधायक गहलोत के इशारे पर बयान तक देते हैं. पार्टी कुछ भी व्हिप जारी करे, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. पार्टी के अनुशासन में भी इनका भरोसा नहीं है. ऐसा कहा जा सकता है कि ये विधायक कांग्रेस के नहीं बल्कि अशोक गहलोत हैं. अगर राज्य में सरकार कायम रखनी है तो अशोक गहलोत के पांव खींचते ही कांग्रेस सरकार गिर जाएगी. सचिन पायलट के पास महज 16 विधायकों का समर्थन है. उनके लिए अशोक गहलोत सत्ता छोड़ने वाले नहीं हैं.

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25 सितंबर को कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी. बैठक इस बात पर थी कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे और मुख्यमंत्री का पद छोड़ेंगे. लेकिन वह इस जिद पर अड़े रहे कि मुख्यमंत्री वही रहेंगे. विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने व्हिप जारी किया था कि विधायकों को हर हाल में मौजूद रहना होगा. लेकिन उन्होंने कांग्रेस पार्टी के आदेश को नजरअंदाज कर दिया और सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया. महेश जोशी, राजेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल को इस हरकत की वजह से नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. 

क्यों बंधे हैं मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ

इसे अशोक गहलोत की सियासी ताकत कहें या कांग्रेस के बिखराव का डर, मल्लिकार्जुन खड़गे इस स्थिति में नहीं है कि विधायकों की अनुशासनहीनता पर कोई फैसला ले सकें. कांग्रेस नेता सलाह दे रहे हैं कि 25 सितंबर को भूलकर भारत जोड़ो यात्रा पर फोकस करें. पार्टी में बड़े पद पर होने के बावजूद खड़गे भी गहलोत के खिलाफ जाने का दमखम नहीं जुटा पा रहे हैं. 

गहलोत के सामने बेहद कमजोर हैं सचिन पायलट 

सचिन पायलट के पास करीब 16 विधायक हैं. अशोक गहलोत उन्हें धोखेबाज से लेकर गद्दार तक कह चुके हैं. उनकी मजबूरी ऐसी है कि वह ना चाहते हुए भी अशोक गहलोत के आगे-पीछे घूम रहे हैं. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी तीनों के करीबी हैं सचिन पायलट. लेकिन करीबी होने के बाद भी उनकी बात नहीं बन पा रही. भारत जोड़ो यात्रा से लेकर हिमाचल और गुजरात चुनावों तक वह चुनाव प्रचार करते रहे फिर भी उन्हें राजस्थान का वह पद नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वह तलाश कर रहे हैं. गहलोत फैक्टर के आगे गांधी परिवार भी बेबस है. शायद सचिन पायलट को आलाकमान यह संदेश दे रहा है कि बेचैन न हो, शांत बैठो, वक्त का इंतजार करो पर उन्हें शांत रहने की डेडलाइन नहीं दी जा रही.

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कलह सुलझाने में कहीं बीत न जाए 2023 का विधानसभा चुनाव

ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का हाल जो 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में हुआ था, ठीक वैसा 2023 के राजस्थान चुनाव में भी हो सकता है. जिस तरह राजस्थान कांग्रेस में अंदरुनी कलह चल रही है, वैसा ही कुछ पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी ड्रामे की वजह से हुआ था और कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई थी. अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सुलह अब लगभग असंभव है, सारी कोशिशें बेकार गईं हैं. इन दोनों के अलग-अलग रास्तों पर चलने के कारण राजस्थान भी हाथ से निकलना तय माना जा रहा है.

सचिन पायलट, अशोक गहलोत.

हाल ही में केसी वेणुगोपाल, गोविंद सिंह डोटासरा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें वे सभी हाथ मिलाते नजर आए थे. ऐसा माना जा रहा है कि यह अस्थाई सुलह सिर्फ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तक है. यात्रा खत्म होते ही, फिर गहलोत और पायलट खेमे में भिड़ंत होने वाली है. 

आने वाला समय वाकई में राजस्थान को देश की राजनीति का सेंटर बनाने वाला है.  

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Rajasthan Congress Ashok Gehlot Bigg KC Venugopal Mallikarjun Kharge Political Tussle
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अशोक गहलोत से क्यों खौफ खा रहे खड़गे से लेकर माकन
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Hindi
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राजस्थान के सियासी कलह का खत्म होना बेहद मुश्किल है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
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राजस्थान के सियासी कलह का खत्म होना बेहद मुश्किल है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सुलह के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. (तस्वीर-PTI)

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अशोक गहलोत से क्यों खौफ खा रहे खड़गे से लेकर माकन, आसान भाषा में समझें राजस्थान में हो रहा खेल