डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) आज जन आक्रोश यात्रा के लिए रथों को हरी झंडी दिखाने के लिए जयपुर आएंगे. जेपी नड्डा की हरी झंडी, कांग्रेस (Congress) के लिए लाल झंडी से कम नहीं है. राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस की कलह पर अब चर्चा देशव्यापी है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच मनमुटाव अब सार्वजनिक है. वह सचिन पायलट को गद्दार तक बता चुके हैं. अकेले अशोक गहलोत इतने सक्षम नहीं हैं कि वे बीजेपी का मुकाबला कर सकें, वह भी तब जब दिग्गज नेताओं से लेकर समर्थक तक कई खेमे में बंटे हों.
अशोक गहलोत कई मोर्चे पर घिर गए हैं. अब जेपी नड्डा की जन आक्रोश यात्रा के बाद सूबे में सियासत और तेज हो सकती है. पहले कहा जा रहा था कि वसुंधरा राजे इस यात्रा से दूरी बरतेंगी और बीजेपी खुद भी अंदरुनी कलह से जूझ रही है. अब सियासी समीकरण बदल गए हैं और वसुंधरा एक बार फिर सूबे में सक्रिय नजर आ रही हैं. खुद जेपी नड्डा के उतरने की वजह से राजस्थान का माहौल बदल गया है.
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जन आक्रोश यात्रा से बीजेपी निकाल रही सत्ता की राह
जेपी नड्डा गुरुवार को जयपुर से 51 रथों को हरी झंडी दिखाएंगे. यात्रा के एक हिस्से के रूप में, रथ राजस्थान के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे जन आक्रोश यात्रा के तहत विभिन्न जिलों में 200 रथों की रवानगी के कार्यक्रम में प्रदेश के प्रमुख नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है.
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3 दिसंबर और 4 दिसंबर को भी रथों की रवानगी के साथ ही राज्य के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में 10 दिवसीय जन आक्रोश यात्रा शुरू होगी. नड्डा दशहरा मैदान से रथों को हरी झंडी दिखाएंगे, जहां वे जयपुर जिले के हजारों बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
जन आक्रोश यात्रा के खिलाफ क्या है अशोक गहलोत का प्लान?
कांग्रेस, बीजेपी के रणनीतिक हमलों का जवाब तभी दे सकती है जब उसके भीतर चल रहा सियासी समर थमे. साल 2018 से अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमा एक-दूसरे पर हमलावर है. केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में सचिन पायलट और अशोक गहलोत की मुलाकात कराई है. केसी वेणुगोपाल, गोविंद सिंह डोटासरा और सचिन पायलट हाथ थामे नजर आए. यह सुलह अगर बरकरार रहती है तो बीजेपी के खिलाफ रणनीति तैयार हो सकती है.
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राजस्थान में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा रही BJP, पार्टी में कलह के बीच सियासी बवंडर से कैसे निपटेंगे गहलोत?