डीएनए हिन्दी: बिहार (Bihar) की राजनीति में बाहुबलियों का बोलबाला हमेशा से रहा है. सिवान (Siwan) की धरती से भी एक से बढ़कर एक बाहुबली निकले हैं. उन्हीं में से एक बाहुबली थे मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin). जब तक जिंदा रहे सिवान की राजनीति उनके ईर्द-गिर्द घुमती रही. कहा जाता है कि सिवान में अगर किसी का हुक्म चलता था तो वह शहाबुद्दीन का.
राजद के साथ शहाबुद्दीन की रिश्ता पुराना रहा. शुरू से ही वह लालू यादव के वफादार रहे. कई समय वह लालू यादव के लिए संकट मोचक बन कर उभरे. सिवान में राजद के परंपरागत MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण का एक ही चेहरा था, वह था मोहम्मद शहाबुद्दीन. अब शहाबुद्दीन इस दुनिया में नहीं रहे तो सिवान की राजनीति भी करवट बदलती दिख रही है.
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वैसे तो सिवान और उसके आसपास के जिलों में शहाबुद्दीन के दुश्मनों की कमी नहीं रही. इन्हीं में उनके एक परंपरागत दुश्मन हैं रईस खान. कुछ दिन पहले ही एमएलसी चुनाव के दौरान रईस खान पर जानलेवा हमला हुआ था. उसमें रईस तो बच गए थे लेकिन उनका एक सहयोगी मारा गया था. उस दौरान रईस खान शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा और उनके समर्थकों पर इस हमले का आरोप लगाया था.
बुधवार की रात सिवान के उभरते बाहुबली रईस खान की आरजेडी नेता तेजप्रताप यादव से मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गरम हो गया है. सोशल मीडिया पर दोनों की तस्वीरें भी सामने आई हैं. अब कहा जा रहा है कि सिवान में MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण का नया चेहरा हो सकते हैं रईस खान. सिवान की राजनीति के जानकारों का कहना है कि रईस खान अपराध के साथ-साथ राजनीति में भी इस क्षेत्र में अपना कब्जा जमाने में जुटे हुए हैं.
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ध्यान रहे कि अभी कुछ दिन पहले ही मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने कहा था कि वह फिलहाल किसी राजनीतिक दल से जुड़ी नहीं हैं. वह अभी न्यूट्रल हैं. हिना शहाब के इसी बयान के बाद रईस खान ने मौके का फायदा उठाया है और उसने लालू परिवार से नजदिकियां बढ़ानी शुरू कर दी हैं. लालू के बड़े लाल तेज प्रताप के साथ उनकी मुलाकात सार्वजनिक होने के बाद अब कयास लगाया जा रहा है कि रईस खान जल्द ही राजद का दामन थाम सकते हैं.
गौरतलब है कि लंबे से समय से सिवान पर एनडीए का कब्जा है. ऐसे में रईस खान की नजर सिवान संसदीय क्षेत्र पर है. वह आरजेडी के टिकट पर सिवान से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
अगर सूत्रों की मानें तो मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद लालू परिवार ने उनकी पत्नी और बेटे से दूरियां बना लीं. शहाबुद्दीन समर्थकों का कहना है कि लालू परिवार मुश्किल वक्त में शहाबुद्दीन परिवार के साथ खड़ा नहीं दिखा. हालांकि, तेजस्वी ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा से मिलकर गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन उसका खास फायदा नहीं दिखा. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शहाबुद्दीन की पत्नी अब जेडीयू का दामन थाम सकती हैं.
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शहाबुद्दीन परिवार से दूरियां बना रहा RJD, रईस खान थाम सकते हैं 'लालटेन'