डीएनए हिन्दी: देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का दूसरा केस मिला है. यह केस भी केरल में मिला है. 31 साल का यह शख्स केरल के कन्नूर जिले का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि यह शख्स पिछले सोमवार को दुबई से केरल लौटा था. मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद इसे कन्नूर के परियाराम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और सैंपल जांच के लिए पुणे के वायरोलॉजी लैब भेजे गए. सैंपल जांच के बाद संक्रमण की पुष्टि की गई है. इस केस की पुष्टि राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी की है.
ध्यान रहे कि केरल में मंकीपॉक्स का जब पहला मामला मिला था, वह शख्स संयुक्त अरब अमीरात से लौटा था. उसमें वायरस से लक्षण दिखने के तुरंत बाद ब्लड सैंपल पुणे के वायरोलॉजी लैब भेजे गए, जहां संक्रमण की पुष्टि हुई थी.
गौरतलब है कि जैसे ही मंकीपॉक्स के पहले केस की जानकारी केंद्र सरकार को मिली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सक्रिय हो गया. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक हाई लेवल टीम केरल भेजी थी. इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञ, आरएमएल हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉक्टर, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर के साथ-साथ कई अन्य विशेषज्ञ भी थे. यह टीम राज्य के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम कर रही है.
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ध्यान रहे कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरल जूनोसिस है (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला वायरस). इसके लक्षण चेचक की तरह होते हैं.
"The 31-year-old man from Kannur is currently undergoing treatment at Pariyaram Medical College. The patient's health condition is reported to be satisfactory. Those in close contact with him have been put under surveillance," says Kerala Health Minister Veena George
— ANI (@ANI) July 18, 2022
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गौरतलब है कि मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है. पहली बार इसकी पहचान 1958 में हुई थी. यह वायरस बंदरों में पाया गया था. डेनमार्क की एक लेबोरेट्री में इसकी पहचान हुई थी. मनुष्यों में पहली बार यह वायरस 1970 में मिला था. कांगो में एक 9 साल के बच्चे में यह बीमारी पाई गई थी. हालांकि, दावा किया जाता है कि चेचक के टीके की मदद से 1980 तक पूरी दुनिया से मंकीपॉक्स को खत्म कर दिया गया था. लेकिन, मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के केस मिलने लगे हैं. अब यह भारत में भी पहुंच गया है.
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क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
एक्सपर्ट की मानें तो मंकीपॉक्स के लक्षणों की शुरुआत में 6 से 12 दिन लगते हैं. सूजन, बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ दर्द,मांसपेशियों में दर्द इसके शुरुआती लक्षण हैं. मंकीपॉक्स में शुरू में चेहरे और हाथ-पांव पर फफोले दिखाई देने लगते हैं. ये फफोले चेचक की तरह ही दिखाई देते हैं. बाद में हाथ की त्वचा भी फटने लगती है. यह बीमारी, मुंह, हथेलियों और पैरों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
मंकीपॉक्स का इलाज
अगर एक्सपर्ट की मानें तो चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स में बहुत हद तक कारगर है. चेचक के लिए डेवलप की गई नई वैक्सीन MVA-BN को 2019 में मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए स्वीकृति दी गई थी. हालांकि, इस बीमारी के लिए अभी तक कोई कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है. अभी इस पर व्यापक स्टडी चल रही है.
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देश में मंकीपॉक्स का दूसरा केस, दुबई से केरल लौटा था शख्स, सरकार अलर्ट पर