डीएनए हिन्दी: शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. वह गुरुवार की शाम 7.30 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे. बुधवार की रात उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन, गुरुवार की शाम करीब 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने यह ऐलान किया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे. फडणवीस के ऐलान ने सबको चौंका दिया.
एकनाथ शिंदे के बारे कहा जाता है कि वे ठाकरे परिवार के बाहर सबसे ताकतवर शिवसैनिक हैं. उनकी बाल ठाकरे के दौर से शिवसेना में धमक रही है और कहा जाता है कि वह खुद उद्धव ठाकरे के काफी करीबी रहे हैं. 58 साल के शिंदे महाविकास अघाड़ी की सरकार में नगर विकास मंत्री भी थे.
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मूल रूप से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सतारा जिले से पहाड़ी जवाली तालुका के रहने वाले हैं. यहीं पर 9 फरवरी 1964 को शिंदे का जन्म हुआ था. शिंदे महाराष्ट्र के ताकतवर मराठा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
एकनाथ शिंदे बाद में ठाणे आ गए और वहीं पर वह ऑटो रिक्शा चलाने लगे. ऑटो चलाने वाले एकनाथ शिंदे ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन महाराष्ट्र की ड्राइविंग सीट पर बैठेंगे. ऑटो रिक्शा चलाते-चलाते शिंदे अस्सी के दशक में शिवसेना से जुड़े गए. वह पार्टी के आम कार्यकर्ता के रूप में शिवसेना से जुड़े थे और वहां से सीएम तक का सफर पूरा किया है.
ठाकरे परिवार के लिए शिंदे की निष्ठा ऐसी थी कि वह पार्टी के लिए जेल भी जा चुके हैं. ठाणे की कोपरी पांचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं. उनकी पहचान हमेशा वफादार और ताकतवर शिवसैनिक की रही है.
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एकनाथ शिंदे की ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2019 में शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उनका भी नाम सामने आया था. उद्धव ठाकरे के सीएम पद संभालने को लेकर अटकलें जारी थीं और ऐसे वक्त में एकनाथ शिंदे का नाम सामने आ रहा था. हालांकि, आखिरी वक्त में तय हुआ कि उद्धव ठाकरे ही सीएम बनेंगे और शिंदे मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे.
ऐसा भी कहा जाता है कि शरद पवार और सोनिया गांधी उद्धव ठाकरे के नाम पर ही सहमत थे. ठाकरे परिवार खुद भी सत्ता के शीर्ष पद पर किसी अपने को ही देखना चाहता था और इन परिस्थितियों में सीएम की कुर्सी से एकनाथ चूक गए थे. महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों की मानें तो आखिरी वक्त में हाथ से कुर्सी छिटक जाने की कसक शिंदे के मन में थी.
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ठाणे इलाके में सबसे ताकतवर राजनीतिक हस्ती हैं एकनाथ शिंदे. ठाणे में उम्मीदवार चुनने से लेकर, चुनाव प्रचार और रणनीति बनाने तक, हर कदम पर उनकी ही चलती थी. शिंदे की पहचान क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले नेता के तौर पर रही है. साथ ही, उनकी छवि एक दबंग नेता की भी है.
एकनाथ के बेटे श्रीकांत शिंदे भी शिवसेना के ही टिकट पर कल्याण सीट से सांसद हैं. अक्टूबर 2014 से दिसंबर 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में वे विपक्ष के नेता रहे हैं. 2014 में ही महाराष्ट्र राज्य सरकार में PWD के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त हुए हैं.2019 में कैबिनेट मंत्री सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (महाराष्ट्र सरकार) का पद मिला था.
ऐसा नहीं है कि एकनाथ शिंदे की नाराजगी एकाएक सामने आई. शिवसेना और बीजेपी गठबंधन सरकार के दौरान भी उनकी पार्टी हाईकमान से खटपट थी और खबरें आई थीं कि शिंदे बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि, उस वक्त यह सब कोरी अफवाह ही साबित हुआ था.
बताया जा रहा है कि गठबंधन की सरकार में शिंदे खुद को ताकतवर महसूस नहीं कर पा रहे थे. कांग्रेस और एनसीपी ही नहीं बल्कि शिवसेना के साथ भी वह असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी के अंदर खुद उन्हें अपना कद घटते हुए नजर आ रहा था. इन सब हालात में उनके सब्र ने जवाब दे दिया और उन्होंने बगावत कर ही दी.
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कभी ठाणे की सड़कों पर ऑटो चलाते थे अब महाराष्ट्र 'चलाएंगे' एकनाथ शिंदे