डीएनए हिन्दी: भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के पहले केस की पुष्टि हो गई है. केरल में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. गुरुवार को मामले की पुष्टि होने के बाद से केरल सरकार हाई अलर्ट पर है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने गुरुवार की देर शाम कहा कि मरीज में मंकीपॉक्स की पुष्टि होने का बाद सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे घबराने की और चिंता की कोई बात नहीं. ध्यान रहे देश में यह मंकीपॉक्स का पहला मामला (India first monkeypox case) है.
गौरतलब है कि मरीज संयुक्त अरब अमीरात से 12 जुलाई को केरल आया था. जब उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे तो उसे केरल के कोल्लम के अस्पताल में ले जाया गया. हालांकि, कुछ देर के बाद ही मरीज को त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (Trivandrum Medical College and Hospital) में रेफर कर दिया गया. यहां उसे कड़ी निगरानी में रखा गया है. जांच के लिए सैंपल एनआईवी, पुणे भेजी गई थी,जहां से रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री जॉर्ज ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं. सबकुछ कंट्रोल में है. मरीज का इन्क्यूबेशन पीरियड 21 दिनों का है. स्वास्थ्य विभाग सारी स्थितियों को संभालने को तैयार है.
A Monkey Pox positive case is reported. He is a traveller from UAE. He reached the state on 12th July. He reached Trivandrum airport and all the steps are being taken as per the guidelines issued by WHO and ICMR: Kerala Health Minister Veena George pic.twitter.com/oufNR7usLN
— ANI (@ANI) July 14, 2022
केरल सरकार ने कहा कि जॉर्ज के संपर्क में जो 11 लोग आए थे उन्हें भी निगरानी में रखा गया है. साथ ही जिस ऑटो में और टैक्सी में जॉर्ज ने यात्रा की थी उसकी भी पहचान कर ली गई है. उन्हें भी कड़ी निगरानी में रखा गया है.
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जैसे ही इस केस की जानकारी केंद्र सरकार को मिली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सक्रिय हो गया. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक हाई लेवल टीम केरल भेजी है. इस टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विशेषज्ञ, आरएमएल हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉक्टर, स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर के साथ-साथ कई अन्य विशेषज्ञ हैं. यह टीम राज्य के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करेगी.
ध्यान रहे कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरल जूनोसिस है (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला वायरस). इसके लक्षण चेचक की तरह होते हैं.
पहली बार कब मिली थी मंकीपॉक्स की जानकारी
मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है. पहली बार इसकी पहचान 1958 में हुई थी. यह वायरस बंदरों में पाया गया था. डेनमार्क की एक लेबोरेट्री में इसकी पहचान हुई थी. मनुष्यों में पहली बार यह वायरस 1970 में मिला था. कांगो में एक 9 साल के बच्चे में यह बीमारी पाई गई थी. हालांकि, दावा किया जाता है कि चेचक के टीके की मदद से 1980 तक पूरी दुनिया से मंकीपॉक्स को खत्म कर दिया गया था. लेकिन, मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के केस मिलने लगे हैं. अब यह भारत में भी पहुंच गया है.
क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
एक्सपर्ट की मानें तो मंकीपॉक्स के लक्षणों की शुरुआत में 6 से 12 दिन लगते हैं. सूजन, बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ दर्द,मांसपेशियों में दर्द इसके शुरुआती लक्षण हैं. मंकीपॉक्स में शुरू में चेहरे और हाथ-पांव पर फफोले दिखाई देने लगते हैं. ये फफोले चेचक की तरह ही दिखाई देते हैं. बाद में हाथ की त्वचा भी फटने लगती है. यह बीमारी, मुंह, हथेलियों और पैरों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
मंकीपॉक्स का इलाज
अगर एक्सपर्ट की मानें तो चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स में बहुत हद तक कारगर है. चेचक के लिए डेवलप की गई नई वैक्सीन MVA-BN को 2019 में मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए स्वीकृति दी गई थी. हालांकि, इस बीमारी के लिए अभी तक कोई कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है. अभी इस पर व्यापक स्टडी चल रही है.
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भारत में मिला मंकीपॉक्स का पहला मरीज, जानें, इस बीमारी के बारे में सबकुछ