डीएनए हिन्दी: शराबबंदी वाले बिहार में नशे से लगातार जान जा रही है. अब समस्तीपुर में 2 युवकों की मौत हो गई है. परिजनों के मुताबिक 3 दोस्तों ने मिलकर पार्टी की थी जिसके बाद सोमवार सुबह से ही 2 दोस्तों की तबीयत बिगड़ने लगी. इनमें से एक युवक ने सोमवार रात को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जबकि दूसरे की मौत मंगलवार दोपहर को हो गई. यह घटना चकमेहसी थाना क्षेत्र के बख्तियारपुर गांव की है.
ध्यान रहे कि बिहार के छपरा में बीते 15 दिनों में 19 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. शराब को लेकर अलर्ट के बाद भी राज्य में कच्ची शराब का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. डीएनए स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको शराब से लगातार हो हो रही मौतों का सच बताएंगे और ये भी बताएंगे कि ये मौतें दरअसल केमिकल को शराब के तौर पर पीने की वजह से हो रही है.
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आखिर बिहार में क्यों जहरीली होती जा रही है शराब?
छपरा में महज 15 दिनों में 19 लोगों की जान चली गई. दो अलग-अलग थाना क्षेत्र में हुई घटना में बड़े पैमाने पर नकली शराब बनाने का खुलासा हुआ है. पुलिस राज्य में छापेमारी कर रही है और हर छापेमारी के बाद अवैध रूप से बनाए जा रहे शराब का केमिकल कनेक्शन सामने आ रहा है. छपरा पुलिस ने छापेमारी के दौरान मशरख के मुसहर टोली से बड़े पैमाने पर देशी शराब और केमिकल बरामद किया है.
बिहार पुलिस की छापेमारी के दौरान टीमों को ऐसे केमिकल भी मिले हैं जिनका इस्तेमाल करके शराब बनाई जा रही थी. रविवार की सुबह हुई पुलिस की छापेमारी में मशरख के आसपास के इलाकों में अवैध शराब का कुटीर उद्योग मिला है. यहां जगह-जगह शराब बनाई जा रही थी.
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जहरीली शराब से मौत के बाद भी धड़ल्ले से चल रहा है धंधा
छपरा के मकेर थाना क्षेत्र के भाथा नोनिया गांव में शराब बनाने का खेल काफी दिनों से चल रहा था. अगस्त के पहले सप्ताह में शराब कांड ने पुलिस की नींद उड़ा दी. इस घटना में 1 दर्जन ज्यादा लोगों के आंखों की रोशनी चली गई जबकि 13 लोगों की मौत हो गई. इस घटना में एक बड़े शराब तस्कर को भी पकड़ा गया जो काफी दिनों से शराब के कारोबार में लगा था. इस घटना के तुरंत बाद ही छपरा के ही मढ़ौरा थाना क्षेत्र के भुआलपुर में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत हो गई.
एक ही जिले में 15 दिनों के अंदर हुए 2 'जहरीले शराबकांड' ने पूरे सिस्टम को हिला दिया और सरकार की नींद उड़ा दी. इसके बाद सारण पुलिस ने छापेमारी छापेमारी अभियान चलाया गया तो एक ही दिन में छपरा के मशरख इलाके से 2,000 लीटर शराब बरामद की गई. मशरक के थाना प्रभारी के मुताबिक शराब के साथ शराब तैयार करने वाला सामान भी भारी मात्रा में बरामद किया गया. इसमें बड़ी मात्रा में स्प्रीट भी शामिल है.
नौसादर और केमिकल से सड़ाते हैं शराब
पटना में कई बड़ी छापेमारी में शामिल रहने वाले उत्पाद विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक शराब बनाने वालों ने भी समय के साथ अपना काम करने का तरीका और ट्रेंड बदल लिया है. अब वह जानवरों के दूध उतारने वाली इंजेक्शन ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल शराब में नशे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए कर रहे हैं. उत्पाद विभाग की छापेमारी टीम से जुड़े कर्मियों का कहना है कि अमूमन देसी शराब के निर्माण के लिए महुआ के फूल का प्रयोग किया जाता है. इसके साथ गन्ने का रस, शक्कर, सोडा, जौ, मकई, सड़े हुए अंगूर, आलू, चावल, खराब संतरे का भी इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, मौजूदा समय में महुआ के पानी में केमिकल मिलाकर नशा बढ़ाने का ट्रेंड बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इस कारण से शराब से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया है.
शराब बनाने में पहले कच्चा माल सड़ाने के लिए सोड़ा और नौसादर मिलाया जाता है. पूरी तरह से सड़ जाने के बाद अब इसमें स्प्रीट के साथ जानवरों का दूध उतारने वाली इंजेक्शन ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. पानी के रंग को साफ करने के लिए कास्टिक सोडा या यूरिया मिलाया जाता है. एक साथ कई ऐसे केमिकल मिलाने की वजह से ये शराब अब लोगों के लिए एक खतरनाक जहर का काम कर रही है.
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DNA Exclusive: जानें, बिहार में क्यों नहीं थम रहा जहरीली शराब से मौत का सिलसिला