डीएनए हिंदी: पलायन की मार झेल रहे पौड़ी जनपद से एक अच्छी खबर है. यहां कलूण गांव ने अपना 200 साल का सफर पूरा कर लिया है और यह गांव आज भी आबाद है. 80 फीसदी परिवार आज भी इस गांव में निवास करते हैं. एक तरफ जहां उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों से लगातार पलायन हो रहा है और गांव के गांव खाली हो रहे हैं वहीं दूसरी ऐसी खबर उम्मीद जगाती है. पलायन का दंश झेल रहे पौड़ी जनपद से अनोखी तस्वीरें भी सामने आई हैं. यहां बड़े ही धूमधाम से कलूण गांव की दूसरी गोल्डन जुबली मनाई गई. यह पौड़ी जिले का कलूण गांव है जो पिछले 200 साल से आबाद है. सन 1822 में बसा यह गांव आज भी आबाद है. यहां 80 फीसदी आबादी और वे गांव में रहकर कृषि और पशुपालन से अपनी आजीविका चला रहे हैं. गांव के 200 साल पूरे होने पर अब इस गांव के ग्रामीणों ने 200वीं वर्षगांठ खुद मनाने का फैसला लिया. इसके लिए अपने संसाधनों से एक रंगारंग महोत्सव को आयोजन किया.

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उत्तराखंड का यह पहला ऐसा गांव है जो गांव की दूसरी गोल्डन जुबली को इस तरह से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मना रहा है. ग्रामीण ने बताया कि 200 साल का सफर तय करने के बाद भी गांव से महज 20 फीसदी ही पलायन हुआ है. जबकि 80 फीसदी परिवार आज भी गांव में ही रहकर खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका को चला रहे हैं. इस गांव की 200वी वर्षगांठ पर पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी भी ग्रामीणों के इस उत्सव में शामिल हुए और ग्रामीणों को बधाई देते हुए कहा कि इस गांव के प्रति उनकी जिम्मेदारी अब और ज्यादा बढ़ गई है. इसमें विकास परक योजनाओं से वे गांव को लाभान्वित करेंगे जबकि गांव की समस्याओं का भी निराकरण जल्द करेंगे ताकि ये गांव इसी तरह से आबाद रहे.

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200 year old village in Uttarakhand still populated celebrating second golden jubilee
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आज भी आबाद है 200 साल पुराना यह गांव, आशा की किरण है उत्तराखंड का कलूण
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आज भी आबाद है 200 साल पुराना यह गांव, आशा की किरण है उत्तराखंड का कलूण