डीएनए हिन्दी: दिल्ली से राजनीति की शुरुआत करने वाली आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के लिए आज का दिन बेहद अहम रहा. एग्जिट पोल के नतीजों के अनुमान के मुताबिक ही पहली बार दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (Delhi Municipal Corporation) पर आम आदमी पार्टी का कब्जा होता दिख रहा है. हालांकि, अभी वोटों की गिनती जारी है. अभी तक के रुझानों से यह साफ हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है. इस जीत के साथ ही दिल्ली में 'डबल इंजन' वाली सरकार काम करेगी.
बीजेपी 100 के आसपास सीटों पर सिमटी दिख रही है. कांग्रेस मुश्किल से डबल डिजीट में पहुंचती दिख रही है. आइए हम आम आदमी पार्टी की जीत के मायने को समझने की कोशिश करते हैं.
बडे़ कैनवास पर नजर आएंगे केजरीवाल
दिल्ली सरकार और स्थानीय निकाय के चुनाव में आम आदमी पार्टी को जो हासिल करना था वह कर चुकी है. इस जीत ने उसके नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है. अब निश्चिततौर पर केजरीवाल की पार्टी देश के अन्य हिस्सों में अपनी जमीन तलाश करने की कोशिश करेगी. जीत के बाद संभव हो कि अरविंद केजरीवाल बड़े कैनवास पर नजर आएं. यानी वह राष्ट्रीय राजनीति में पेशेवर अंदाज में कदम रखें. आम आदमी पार्टी की राजनीति पर गहरी नजर रखने वालों का मानना है कि वह दिल्ली की राजनीति की पूरी जिम्मेदारी अपने विश्वासपात्र सहयोगी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सौंप दें और खुद देश के अन्य हिस्सों में पार्टी को मजबूत करने में लग जाएं.
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राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की कमी को पूरा करेगी AAP?
इस जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत विपक्ष की जो कमी खल रही है उसे पूरा करने में लग जाएगी. देश में अगला आम चुनाव 2024 में होने वाला है. फिलहाल मोदी का विकल्प नहीं दिख रहा है. मोदी के खिलाफ मजबूत विपक्ष के लिए कई मोर्चों पर गोलबंदी हो रही है. अभी तक उसमें सफलता नहीं मिली है. आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल भी मजबूत विपक्ष के उस खाली स्पेस को भरना चाहते हैं. अगर वह ऐसा चाहते हैं तो उन्हें दिल्ली की राजनीति से फुलटाइम छुट्टी लेनी होगी.
बीजेपी को भी सबक लेने की जररूत
आम आदमी पार्टी की इस जीत से बीजेपी के लिए भी एक सबक है. एमसीडी चुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसियों ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को कई मामलों में घेरने की कोशिश की. सत्येंद्र जैन के मामले को छोड़ दें बाकी मामलों में उसे निराशा हाथ लगी. कई छापों के बावजूद वे मनीष सिसोदिया के खिलाफ कुछ खास सबूत नहीं ढूढ पाए. केजरीवाल जनता को यह समझाने में सफल रहे कि नरेंद्र मोदी सरकार के इशारों पर यह सबकुछ हो रहा है. आज एमसीडी रिजल्ट के रूप में उसका यह परिणाम भी दिखा.
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कांग्रेस को रिप्लेस करने पर होगी AAP की नजर
दिल्ली के अलावा पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है. इन दोनों जगहों पर केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस को खत्म कर अपनी जगह बनाई है. अब उसकी नजर उन राज्यों पर होगी जहां बीजेपी के विरोध में विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस है. उन राज्यों में AAP को ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद है. गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड जैसे राज्यों पर उनकी नजर होगी.
'मुफ्तखोरी' बनी ताकत
केजरीवाल ने देश की राजनीति में एक और मुद्दा स्टैब्लिश की है. वह यह खुद के लिए यह साबित करने में सफल रहे कि वे प्रो-पुअर पॉलिटिक्स करते हैं. आजकल भले 'फ्रीबिज' (Freebies) को लेकर देशभर में बहस छिड़ा हुआ है लेकिन तथाकथित इसी 'मुफ्तखोरी' की राजनीति ने केजरीवाल की पार्टी को देश में स्वीकार्यता दिलवाई है.
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