डीएनए हिंदी: महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने प्रेस की आजादी के बारे में करीब 100 साल पहले कहा था कि प्रेस की स्वतंत्रता एक मूल्यवान विशेषाधिकार है, कोई भी देश इसका त्याग नहीं कर सकता. पत्रकारों पर सच न लिखने के लिए दबाव बनाने की कोशिश हमेशा से होती रही है. 

कई बार पत्रकारों को सच की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. आज विश्व प्रेस आजादी दिवस (World Press Freedom Day) पर आइए जानते हैं कि बीते कुछ सालों में कितने पत्रकारों को जान से हाथ धोना पड़ा है. भारत में कौन से राज्य पत्रकारों के लिए घातक रहे हैं.  

चार महीनों में ही 29 पत्रकारों की मौत 

यूनेस्को (UNESCO) के आकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 55 पत्रकारों की मौत हुई थी. साल के पहले 4 महीनों में ही 29 पत्रकार अपनी जान खो चुके हैं, जिनमें से रूस और यूक्रेन का जारी जंग में ही 7 पत्रकारों को जान गंवानी पड़ी है. 

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87 फीसदी पत्रकारों की मौत के केस अनसुलझे

साल 1993 से दुनियाभर में 1519 पत्रकार जान से हाथ धो चुके हैं. 2006 के बाद से सभी पत्रकार हत्याओं में से 87 फीसदी केस आज भी अनसुलझे हैं. हैरानी की बात है. इनमें दो तिहाई से ज्यादा ऐसे देशों में हुई जहां कोई सशस्त्र संघर्ष जारी नहीं था. एक दशक पहले साल 2013 में स्थिति अलग थी जब दो तिहाई पत्रकारों की हत्या संघर्ष से गुजर रहे देशों में हुई थी.

कौन से देश हैं पत्रकारों के लिए घातक  

पिछले 29 सालों के आकड़ों के मुताबिक पत्रकारों के लिए सबसे घातक देश ईराक रहा है, जहां पर 201 पत्रकारों ने जान गंवाई है. इसके बाद मेक्सिको(139) और फिलीपींस(112) का नम्बर आता है. भारत के पड़ोसी देश भी पत्रकारों के लिए खतरनाक जगहों में से एक हैं. पाकिस्तान में 86, अफगानिस्तान में 81, बांग्लादेश के 25 और श्रीलंका के 25 पत्रकारों को कर्तव्य निभाते हुए जान से हाथ धोना पड़ा है.  

किस देश में कितने पत्रकारों की हुई है मौत?

ईराक  201 
मेक्सिको  139 
फिलींपीस  112 
पाकिस्तान  86 
अफगानिस्तान  81 
सोमालिया  75 
भारत  53 
ब्राजील  52 
कोलंबिया  48 
होड्रउस  45 
रूस  34 
अल्जीरिया 39 
यमन  39 
बांग्लादेश 25 
यूक्रेन  23 
श्रीलंका  12 
नेपाल  8 
चीन 2 

स्रोत: यूनेस्को ऑब्जर्वेटरी ऑफ किल्ड जर्नलिस्ट
 
यूपी बिहार है पत्रकारों के लिए जानलेवा  

भारत में अब तक 1993 से अब तक 53 पत्रकारों की मौत हो चुकी है. उत्तर प्रदेश में अब तक 12 जर्नलिस्ट की मौत हो चुकी है. इसके अलावा बिहार में 8, मध्यप्रदेश में 6 पत्रकारों को अपने कर्तव्य की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में 4 -4 पत्रकारों ने अपना जीवन खोया है.  

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राज्य  पत्रकारों की मौत 

उत्तर प्रदेश  12 
बिहार  8 
मध्य प्रदेश 6 
जम्मू कश्मीर   4 
महाराष्ट्र 4 
छत्तीसगढ़ 3 
असम 3 

स्रोत : यूनेस्को ऑब्जर्वेटरी ऑफ किल्ड जर्नलिस्ट

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World Press Freedom Day 2022 death mystery of killed journalists yet to be resolved data worldwide
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दुनिया में 87 प्रतिशत पत्रकारों की मौत के केस अनसुलझे, समझें वजह
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दुनियाभर में लोगों के निशाने पर रहते हैं पत्रकार. (सांकेतिक तस्वीर)
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दुनियाभर में लोगों के निशाने पर रहते हैं पत्रकार. (सांकेतिक तस्वीर)

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दुनिया में 87 प्रतिशत पत्रकारों की मौत के केस अनसुलझे, देश में ये राज्य हैं अनसेफ!