डीएनए हिंदी: 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन लोगों के बीच इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
एक वक्त ऐसा भी था जब इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था लेकिन समय के साथ कैंसर से भी जंग जीत ली गई. बेहतर उपचार के साथ कैंसर से पीड़ित कई मरीजों का जीवन बचाया गया है. उज्जैन की रहने वाली 90 वर्षीय शांति देवी इसका जीता जागता उदाहरण हैं.
दरअसल शांति देवी गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित थीं. उनके इलाज के दौरान डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद 3.5 किलो की गठान निकाली थी.
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शांति देवी की कहानी
उज्जैन के तिरुपति एवेन्यू में रहने वाली 90 वर्षिय शांति देवी अपने 60 वर्षिय बेटे मनमोहन शर्मा के साथ रहती हैं. महिला का 7 बच्चों का परिवार है जिसमें 5 बेटियां और दो बेटे हैं. हालांकि शांति अपने एक बेटे को खो चुकी हैं.
पति भी थे कैंसर से पीड़ित
शांति देवी बताती हैं कि सन 1992 में पति के जाने के बाद उन्हें कैंसर के बारे में पता चला. जबकि उनके पति गोपाल कृष्ण शर्मा भी इस बीमारी से पीड़ित थे. महिला कहती हैं कि उस वक्त से लेकर आज तक उनके बेटे मनमोहन व पोते प्रशांत ने उनकी जी जान से सेवा की जिसका फल है कि आज वो सबके सामने हैं.
3 सालों तक चला इलाज
कैंसर के इलाज के लिए बुजुर्ग महिला अहमदाबाद के एक अस्पताल में 3 महीने तक भर्ती रहीं जिसके बाद 3 साल तक आना जाना किया. पति की मृत्यु के 10 दिन बाद ही उन्हें शरीर में तकलीफ होने लगी थी. डॉक्टर से जांच करवाई तो गर्भाशय में कैंसर बताया गया. महिला के इलाज के दौरान डॉक्टर ने उनके गर्भ से 3.5 किलो की गठान निकली थी.
नहीं हारी हिम्मत
बता दें कि कैंसर के बाद महिला को हार्ट की तकलीफ हुई जिसके बाद एक और ऑपरेशन किया गया. यही नहीं, बीते साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान शांति देवी पॉजिटिव पाई गईं इस दौरान उनकी बाईं आंख की रोशनी चली गई.
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शांति देवी बताती हैं कि एक वक्त पर डिलेवरी के समय उनका एक बच्चा पेट मे ही मर गया था जिसकी वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था. वे कहती हैं कि इतनी तकलीफों से मैंने डटकर सामना किया है और आज मैं एकदम ठीक महसूस कर रही हूं.
'बीमारी का डटकर सामना करें'
उन्होंने कहा, '3 साल कैंसर की बीमारी से लड़ी थी जिसको अब करीब 30 साल होने आए हैं. मेरे बच्चों ने मेरी बहुत सेवा की. कैंसर दिवस के मौके पर मैं समाज को यही संदेश देना चाहती हूं कि आपको या आपके परिवार में किसी को भी इस बीमारी से सामना करना पड़े तो कभी भी हिम्मत ना हारें, उससे लड़ें. समय रहते डॉक्टर के पास जाएं और जागरूक रहें. बस नियमों का पालन करते रहें.
(इनपुट- राहुल सिंह राठौड़)
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World Cancer Day: 3 साल तक लड़ी कैंसर से जंग, झेले हैं और भी कई दर्द, पढ़ें 90 वर्षीय महिला की हिम्मत भरी कहानी