डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में रैली को संबोधित किया. उन्होंने इस अवसर पर मेरठ के सोतीगंज बाजार का जिक्र करते हुए कहा, गाड़ी चोरी होने पर वह मेरठ के सोतीगंज कटने के लिए आती थी. कई सालों से ऐसा चल रहा था लेकिन किसी के पास इस पर लगाम लगाने की हिम्मत नहीं थी. योगी सरकार ने इस पर बुलडोजर चलवा दिया.
क्यों कुख्यात रहा है सोतीगंज का बाजार?
दरअसल, सोतीगंज बाजार 'कार मार्केट' के नाम से भी जाना जाता है. ये मार्केट पुरानी कारों के पार्ट्स के लिए पहचान रखता है लेकिन इस मार्केट की पहचान इससे कहीं ज्यादा चोरी की कारों और उसके पार्ट्स के लिए है.
यहां दिल्ली, एनसीआर और अन्य पड़ोसी राज्यों से चोरी की गाड़ियां लाई जाती हैं और उसे काटकर पार्ट्स निकाल लिए जाते हैं. इसके बाद उन पार्ट्स को बाजार में बेच दिया जाता है. ये व्यापार अब तक खुलेआम इतने बड़े पैमाने पर चल रहा था कि कई दुकानदारों ने विज्ञापन तक दे रखे थे. वहीं पुलिस के लगाम लगाते ही कई दुकान पर बोर्ड टंक गए—''हम चोरी की गाड़ियां नहीं काटते.''
आधे घंटे में कट जाती है कार
सोतीगंज के कबाड़ी इतने शातिर हैं कि चोरी का वाहन आधे घंटे के अंदर कट जाता है. वाहन को काटने के लिए युवा किशोरों को ट्रेनिंग भी दी जाती है.
सोतीगंज के प्रमुख कबाड़ियों में हाजी इकबाल, हाजी आफताब, हाजी गल्ला, मुस्ताक, मन्नू उर्फ मईनुद़्दीन, राहुल काला, हाजी मोहसिन, सलमान उर्फ शेर, सलाउद्दीन जैसे नाम शामिल हैं. कहा जाता है कि इन कबाड़ियों के खिलाफ ढाई हजार से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
इनमें से कई के खिलाफ तो गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामले चल रहे हैं. यूपी पुलिस और प्रशासन ने ऐसे लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की है. 50 हजार के इनामी चोर गल्ला ने कुर्की वारंट जारी होते ही अपने चारों बेटों के साथ 7 अक्टूबर को कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.
वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात वाहन माफिया अबरार की करोड़ों की संपत्ति को हाल ही पुलिस ने कुर्क किया है. कुर्की के दौरान अबरार के इलाकों से करोड़ों रुपए के वाहन पार्ट्स भी बरामद किए गए. तीन दशकों में पश्चिम उत्तर प्रदेश के बदनाम बाजार सोतीगंज में पुलिस लगातार कार्रवाई को अंजाम दे रही है.
अब तक पुलिस ने 35 से ज्यादा वाहन माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की है. साथ ही 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को कुर्क किया है.
1990 से कुख्यात
चोरी की कारों का ये अवैध कारोबार यहां 1990 के दशक से शुरू होना बताया जाता है. शुरुआत में ये बाजार सिर्फ कबाड़ की दुकानों तक सीमित था लेकिन समय के साथ यहां घरों में गोदाम बना लिए गए और चोरी की कारों गोरखधंधा शुरू हो गया.
इस बाजार में अब 300 से अधिक दुकानें हैं. हाल ही थाना पुलिस ने यहां बाजार को बंद करने का निर्देश दे दिया था. पुलिस ने दुकानदारों से जीएसटी संबंधी जानकारी भी मांगी है. वहीं हर व्यापारी और दुकानदार को शपथ पत्र भी देना होगा. जिसमें घोषणा की जाएगी कि उनके यहां कोई अवैध धंधा नहीं होता.
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