डीएनए हिंदी: पंजाब में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गई हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के एक रोड रेज मामले में एक साल की सजा सुनाई है. नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाए जाने के बाद पीड़ित गुरनाम सिंह के परिवार ने ईश्वर का शुक्रिया अदा किया. फैसले पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर गुरनाम सिंह की बहु परवीन कौर ने कहा, "हम बाबा जी (भगवान) का शुक्रिया अदा करते हैं. हमने इसे बाबाजी पर छोड़ दिया था. बाबाजी ने जो किया सही किया."

क्यों सुनाई गई नवजोत सिंह सिद्धू को सजा
अभियोजन पक्ष के अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और उनके सहयोगी रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा.

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इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. निचली अदालत ने सितंबर 1999 में नवजोत सिंह सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया. हालांकि दिसंबर 2006 में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सिद्धू और संधू को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया. उच्च न्यायालय ने दोनों को तीन-तीन साल कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को दोषी ठहराया था. कोर्ट ने मई 2018 में सिद्धू को मामले में 65 वर्षीय गुरनाम सिंह को "जानबूझकर चोट पहुंचाने" के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था. जिसके बाद मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिसपर आज पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है.... इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कारावास की सजा देना उचित समझते हैं."

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सजा के बावजूद चुनाव लड़ सकते हैं सिद्धू 
भारत के चुनावी कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए एक कानूनी विशेषज्ञ ने गुरुवार को कहा कि 1988 के रोडरेज के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा एक साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बावजूद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू भविष्य में चुनाव लड़ सकेंगे. जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 8 का हवाला देते हुए लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी.आचारी ने PTI बताया, "अगर दो साल या उससे ज्यादा कारावास की सजा होती, तो वह अगले छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाते."

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Why Navjot Singh Sidhu has been jailed for 1 year what happened in 1988 roadrage case
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Navjot Singh Sidhu को क्यों सुनाई गई सजा? जानिए 1988 में क्या हुआ था
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Navjot Singh Sidhu को क्यों सुनाई गई सजा? जानिए 1988 में क्या हुआ था