डीएनए हिंदी: Sulabh International Founder Died- पूरे देश को खुले में शौच के खिलाफ स्वच्छता का पहला पाठ पढ़ाने वाले सोशल एक्टिविस्ट बिंदेश्वर पाठक (Bindeshwar Pathak) का मंगलवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया. सुलभ इंटरनेशनल (Sulabh International) के जरिये देश में 5.5 करोड़ से भी ज्यादा टॉयलेट बनवाने वाले बिंदेश्वर पाठक ने दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली. बिंदेश्वर पाठक की तबीयत मंगलवार सुबह अचानक उस समय बिगड़ गई थी, जब वे सुलभ इंटरनेशनल के ऑफिस में ध्वजारोहण कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे. उन्हें तत्काल दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें कार्डियक अरेस्ट की पुष्टि की गई थी. इलाज के दौरान दोपहर बाद उनका निधन हो गया. बिंदेश्वर की संस्था टॉयलेट बनवाने के अलावा देश में मानव मल की हाथों से सफाई कराने के खिलाफ भी अभियान चलाती है. बिंदेश्वर पाठक को हाथ से मैला उठाने के खिलाफ तीखे अभियानों के लिए सेनिटाइजेशन पायनियर भी कहकर पुकारा जाता था.

1970 में की थी सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना

बिंदेश्वर पाठक को भारत में 'शौचालय क्रांति' का जनक कहा जाता है. उन्होंने साल 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी, जो अब तक पूरे देश में 13 लाख से ज्यादा घरों के अंदर शौचालय बनाने के अलावा 5.4 करोड़ से ज्यादा सरकारी शौचालयों का निर्माण कर चुकी है. पूरे देश में तकरीबन हर जगह सरकारी प्रसाधन सुविधाओं के लिए 'सुलभ शौचालय' एक आम बोलचाल के शब्द की तरह इस्तेमाल होता है. हाथ से मैला उठवाने वालों के पक्ष में कई तरह के कानून बनवाने और पूरे देश को खुले में शौच के खिलाफ प्रेरित करने के लिए बिंदेश्वर पाठक को पूरी दुनिया में बेहद सम्मान दिया जाता था. 

पद्म भूषण सम्मान मिल चुका था पाठक को

डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक को उनके सामाजिक कार्यों के लिए साल 1999 में पद्म भूषण सम्मान दिया गया था. साल 2003 में उन्हें विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वालों की सूची में शामिल किया गया. इसके अलावा भी पूरी दुनिया में उन्हें तमाम तरह के पुरस्कार मिल चुके थे. 

पीएम मोदी ने जताया निधन पर दुख

बिंदेश्वर पाठक के निधन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए बड़ी हानि बताया है. उन्होंने ट्वीट के जरिये डॉक्टर पाठक को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीट में लिखा, डॉ. बिंदेश्वर पाठक का निधन हमारे देश के लिए बड़ा नुकसान है. वह सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करने वाले दूरदर्शी व्यक्ति थे. बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत बनाने को ही अपना मिशन बना लिया. उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान का बड़े पैमाने पर समर्थन किया. हमारी कई बार बातचीत के दौरान उनका स्वच्छता के प्रति जुनून हमेशा दिखाई दिया.  उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा. इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. ऊं शांति.

ब्राह्मण परिवार में जन्मे, लेकिन काम वंचितों के लिए किया

बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में हुआ था. वे एक ब्राह्मण परिवार से थे. उनके पिता रमाकांत पाठक और माता योगमाया देवी समाज में बेहद सम्मानित थे. इसके बावजूद उन्होंने उम्र भर समाज के सबसे निचले वर्ग के वंचित समुदाय को सशक्त बनाने के लिए काम किया. बिंदेश्वर पाठक ने पटना के बीएन कॉलेज से सोशयोलॉजी में ग्रेजुएशन की थी. इसके बाद उन्होंने कुछ समय टीचर के तौर पर काम किया.

महात्मा गांधी के विचारों से थे बेहद प्रभावित

बिंदेश्वर पाठक महात्मा गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित थे. खासतौर पर वे महात्मा गांधी के छुआछूत और सिर पर मैला ढोने के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों से बेहद प्रेरित हुए. इसके चलते वे टीचर की नौकरी छोड़कर पटना की गांधी सेंटनेरी कमेटी के अभियानों में वॉलंटियर के तौर पर जुड़ गए. पाठक पर अपनी मां का भी बेहद प्रभाव था, जो हमेशा दूसरों की मदद किया करती थीं. वे कहते थे कि मां को देखकर ही उन्हें समाज सेवा करना अच्छा लगने लगा और फिर ये पैशन बन गया. गांधी सेनटेनरी कमेटी से जुड़ने के बाद उन्होंने पीएचडी की. इस दौरान उन्होंने मानव मल को हाथ से साफ करने वालों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की. उन्होंने मानव मल को हाथ से छूने की जरूरत नहीं पड़े, इसके लिए कई डिजाइन तैयार किए. यही डिजाइन सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना का कारण बने और फिर यह देश का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान बन गया. 

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सुलभ शौचालय अभियान के संस्थापक का निधन, जानिए कौन थे बिंदेश्वर पाठक
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सुलभ शौचालय अभियान के संस्थापक का निधन, जानिए कौन थे बिंदेश्वर पाठक

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