डीएनए हिंदी: तमिलनाडु के राज्यपाल RN Ravi विवादों में घिर गए हैं. कैश फॉर जॉब केस में जेल में बंद स्टालिन सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी को राज्यपाल ने गुरुवार को मंत्रीपद से बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद राज्य की सियासत गर्म हो गई और मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने यह तक कह दिया था कि राज्यपाल को मंत्री की बर्खास्तगी का अधिकार ही नहीं है. इसके कुछ घंटों बाद ही राज्यपाल ने अपने ही फैसले को रोक दिया और इस मामले में अटॉर्नी जनरल की कानूनी राय आने तय मंत्री के पद को बरकरार रखने का निर्णय किया. इस पूरे में मामले में आर एन रवि स्टालिन सरकार के निशाने पर है. ऐसा नहीं है कि आर एन रवि कोई पहली बार विवादों में घिरे हैं बल्कि इससे पहले नागालैंड में राज्यपाल रहते हुए भी वे विवादों में घिर चुके हैं.

दरअसल, पूर्व आईपीएस ऑफिसर आरएन रवि 2012 में सर्विस से रिटायर हुए थे. उन्होंने जॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया थाा और बाद में भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे. उनका सबसे हाई-प्रोफाइल कार्यभार नागा शांति वार्ता के लिए केंद्र का वार्ताकार नियुक्त होना रहा था लेकिन बाद में विवादों के चलते उन्हें इस पद से हटना पड़ा था. 

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कार्यभार संभालने के साथ शुरू हो गया था विवाद

बता दें कि तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार के साथ राज्यपाल आर एन रवि का पहले भी विवाद हो चुका है. सितंबर 2021 में आरएन रवि ने तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभाला था. इसके बाद से राज्य में राजभवन और सरकार के बीच तनाव बना हुआ है. पिछले साल स्टालिन सरकार ने ये आरोप लगाते हुए आरएन रवि के कार्यक्रमों को बहिष्कार करने का ऐलान किया था कि स्टालिन सरकार द्वारा की गई कई कैबिनेट सिफारिशों और एक दर्जन पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल ने देरी की. इनमें मेडिकल प्रवेश के लिए एनईईटी को समाप्त करने का विधेयक भी शामिल था. जिस पर काफी बवाल भी देखा गया था.

नाम बदलने को लेकर हुआ था टकराव 

आर एन रवि और स्टालिन सरकार के बीच तमिलनाडु का नाम बदलकर तमिझगम करने के मुद्दे पर भी विवाद हुआ था. राज्यपाल ने तर्क देते हुए कहा था कि ‘नाडु’ शब्द का मतलब राष्ट्र से हैं. जो अलगाववाद की ओर इशारा करता है. इन विवादों के बीच ही डीएमके के मुखपत्र मुरासोली ने अपने संपादकीय में कहा था कि राज्यपाल रवि तमिलनाडु में भाजपा के बचे हुए वोट आधार को भी बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने के बजाय, राजनीति खेल रहे हैं. लगता है उन्होंने तमिलनाडु में बीजेपी चीफ की जिम्मेदारी निभाने की ठानी है.

नागालैंड में भी हुआ था टकराव

गौरतलब है कि साल 2019 में उन्हें नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था. हालांकि तमिलनाडु की तरह यहां भी कई मुद्दों पर विवाद खड़ा हो गया था. उनकी नियुक्ति के एक साल के अंदर ही उनके एनएससीएन आईएम के साथ रिश्तों में खटास आ गई. इसके बाद साल 2020 में नागा समूहों के साथ बातचीत भी बाधित हो गई क्योंकि एनएससीएन आईएम ने आरएन रवि के साथ बात करने तक से इनकार कर दिया था. बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र को इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक टीम को शामिल करना पड़ा था.

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विवाद के बाद हुआ था तमिलनाडु ट्रांसफर

R N रवि पर आरोप लगे थे कि उन्होंने एग्रीमेंट के फ्रेमवर्क को तोड़मरोड़ कर पेश कर संसद की स्थाई समिति को गुमराह किया. इसके बाद एनएससीएन आईएम ने केंद्र से वार्ताकार बदलने की अपील भी की थी. वहीं कई मुद्दों को लेकर आरएन रवि के राज्य सरकार से भी संबंध खराब हो गए थे. इसके बाद मामला बढ़ता देख उन्हें सितसंबर 2021 में तमिलनाडु ट्रांसफर कर दिया गया और उन्होंने नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के पद से इस्तीफा दे दिया.

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Who is RN Ravi: कौन हैं तमिलनाडु के गवर्नर आर एन रवि, जिनका पहले भी रहा है विवाद
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Tamil Nadu Governor R.N. Ravi

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कौन हैं तमिलनाडु के गवर्नर R N Ravi, जिनके फैसले के खिलाफ CM MK स्टालिन समेत DMK ने खोला मोर्चा