Lok Sabha Elections 2024: ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. अब वे यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. ओम प्रकाश राजभर एनडीए हो या गठबंधन, सभी को हमेशा लुभाते रहे हैं.

उनके अतीत का जिक्र करें तो वे मायावती, अखिलेश और योगी, सबका साथ दे चुके हैं, सबको आजमा चुके हैं. उनकी पटती किसी के साथ नहीं है लेकिन राजनीति में वे हमेशा प्रासंगिक बने रहते हैं. आखिर ऐसा क्या है जो वे सबको लुभाते हैं.

आइए जानते हैं ओपी राजभर की उस राजनीति के बारे में, जिसके चलते यूपी के हर गठबंधन में उनकी एंट्री के लिए दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं.
 


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यूपी की राजनीति में सबको लुभाते हैं ओपी राजभर?
यूपी की राजनीति, जाति आधारित रही है. राजभर समुदाय के बारे में कहा जाता है यह समाज बेहद संगठित रहा है. ओपी राजभर इस समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं, जिनके इशारे भर से लोग अपनी वोटिंग का रुख बदल लेते हैं.

ओपी राजभर साल 2002 से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती (Mayawati) के भरोसेमंद सिपाही रहे हैं. तल्खियां बढ़ी तो उन्होंने अपनी पार्टी खड़ी कर ली.

साल 2002 में उन्होंने सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का गठन कर लिया. यह संगठन, देखते-देखते राजभर समुदाय की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.

 


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गाजीपुर जिले के जहूराबाद विधानसभा से लेकर पूरी उत्तर प्रदेश के दर्जनों जिलों में इस समुदाय की मजबूत पकड़ है.

यूपी की राजनीति में बेहद अहम है राजभर का कद
राजभर समुदाय के लोग पूर्वांचल में मजबूत स्थिति में हैं. यूपी में करीब 4 फीसदी आबादी राजभर है, जिसका असर 16 लोकसभा सीटों पर पड़ता है. विधानसभा चुनावों में सुभासपा की स्थिति और मजबूत होती है. 

साल 2022 के विधानसभा चुनावों में ओपी राजभर सपा के साथ थे. उन्होंने 6 सीटें भी जीत लीं. ऐसे में उनकी सियासी ताकत और भी मजबूत हो गई. अब ओपी राजभर का ख्वाब संसद में भी एक सीट हासिल करने का है.

सुभासपा ने 2014 के बाद से जिस भी पार्टी के साथ गठबंधन में उतरी, उसे लाभ मिला. अब ओपी राजभर की डिमांड इस वजह से और बड़ गई है. यही वजह है कि हर पार्टी उन्हें अपने खेमे में शामिल करना चाहती है.

कैसी रही है ओपी राजभर की शुरुआती जिंदगी?
ओम प्रकाश राजभर 15 सितंबर 1962 को वाराणसी जिले के फतेहपुर खौदा सिंधोरा में पैदा हुए थे.वे एक बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनके पिता सन्नू राजभर कोयला खादान में मजदूरी करते थे. उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में खेती किसानी भी की. पोस्टर भी चिपकाए. उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अपना खाली समय टेम्पो भी चलाया. 

कितने पढ़े लिखे हैं ओपी राजभर?
ओपी राजभर ने बनारस के बलदेव डिग्री कॉलेज से 1983 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. वहीं से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. उन्होंने पढ़ने से ज्यादा यूपी की राजनीति में खुद को गढ़ा है.

परिवार में कौन-कौन हैं?
उनकी पत्नी का नाम राजमति है. उनके दो बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम अरुण राजभर और छोटे बेटे का नाम अरविंद राजभर है. दोनों उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं. अरुण राजभर अपने पिता की पार्टी सुभासपा में राष्ट्रीय महासचिव हैं. अब वे अपने दूसरे बेटे को भी अहम जिम्मेदारी देने वाले हैं.

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What is the political significance of OP Rajbhar in Uttar Pradesh 2024 Lok Sabha Elections
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यूपी की राजनीति में हर दल को लुभाते क्यों हैं ओम प्रकाश राजभर?
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सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओपी राजभर.
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सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओपी राजभर.

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यूपी की राजनीति में हर दल को लुभाते क्यों हैं OM Prakash Rajbhar?

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