डीएनए हिंदी: लाउडस्पीकर पर देशभर में जारी बहस के बीच तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) ने सवाल उठाए हैं कि क्या लाउडस्पीकर के आविष्कार से पहले भगवान और खुदा नहीं होते थे? उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर पर बहस के बहाने बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को दबाया जा रहा है.
तेजस्वी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाने वालों से पूछता हूं कि Loud Speaker की खोज 1925 में हुई और भारत के मंदिरो/मस्जिदों में इसका इस्तेमाल 70 के दशक के आसपास शुरू हुआ. जब लाउडस्पीकर नहीं था तो भगवान और ख़ुदा नहीं थे क्या? बिना लाउडस्पीकर प्रार्थना, जागृति, भजन,भक्ति व साधना नहीं होती थी क्या?'
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'लाउडस्पीकर के मोहताज नहीं हैं भगवान'
आरजेडी नेता तेजस्वी ने आगे लिखा, 'असल में जो लोग धर्म और कर्म के मर्म को नहीं समझते है वही बेवजह के मुद्दों को धार्मिक रंग देते हैं. आत्म जागरूक व्यक्ति कभी भी इन मुद्दों को तूल नहीं देगा. भगवान सदैव हमारे अंग-संग है. वह क्षण-क्षण और कण-कण में व्याप्त है. कोई भी धर्म और ईश्वर कहीं किसी Loud Speaker का मोहताज नहीं है.'
महंगाई और रोजगार के मुद्दे पर बरसे तेजस्वी
तेजस्वी ने रोजगार और महंगाई का मुद्दा उठाते हुए कहा, 'अभी बात हो रही है बुलडोजर पर, लाउडस्पीकर पर. बेरोजगारी पर बात क्यों नहीं होती? महंगाई पर बात क्यों नहीं होती? तरक्की, किसान, मजदूर की बात क्यों नहीं होती है? इस पर क्यों नहीं चर्चा होती है? लोगों को गुमराह किया जा रहा है, जो असल प्रश्न हैं, जो जनहित के मुद्दें हैं उससे लोगों को भटकाया जा रहा है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'आप बताओ न लाउडस्पीकर का मकसद यही है न कि आपकी नींद टूट जाए, लेकिन जिसको रोजगार नहीं मिला, जिसकी जिंदगी बर्बाद हो गई, उसकी चर्चा नहीं होगी. महंगाई से कमर टूट जाएगी, लेकिन इस पर भी चर्चा नहीं होगी.'
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Loudspeaker Controversy: तेजस्वी यादव ने पूछा- जब लाउडस्पीकर नहीं था तो भगवान और खुदा नहीं थे क्या?