डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) में सरकार गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) अहम बैठक कर रही है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही है. बैठक में यह तय होगा कि उत्तराखंड की कमान पुष्कर सिंह धामी ही संभालेंगे या किसी और को नेतृत्व सौंपा जाएगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष और राज्य के केंद्रीय चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी के अलावा उत्तराखंड के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद हैं.
बैठक में उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी विधायक दल की बैठक से पहले हो रही इस बैठक में विधायक दल के नेता के नाम पर चर्चा की जा रही है.
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क्यों अटका है सीएम पद पर पेंच?
उत्तराखंड में बीजेपी ने शानदार बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा से हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर बीजेपी में मंथन का दौर लगातार जारी है.
कौन है प्रबल दावेदार?
हार के बावजूद धामी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं. अमित शाह के आवास पर जारी बैठक में धामी की मौजूदगी भी इसका संकेत करती है. यह भी दावा किया जा रहा है कि चौबट्टाखाल के विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर के विधायक धन सिंह रावत और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं.
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कौन तय करेगा उत्तराखंड का नेतृत्व?
बीजेपी विधायक दल की प्रस्तावित बैठक के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी को सह पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी मिली है. बीजेपी की उत्तराखंड इकाई के सूत्रों ने कहा कि धामी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि वह न केवल युवा और ऊर्जावान हैं, बल्कि बीजेपी ने उनके नाम पर चुनाव लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की.
क्यों धामी को ही मिल सकती है जिम्मेदारी?
पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगाने का फैसला करने की एक और बड़ी वजह यह हो सकती है कि उसे पिछले कार्यकाल में बेहद कम समय में दो मुख्यमंत्रियों को बदलने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. एक बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी सीट गंवाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है तो धामी को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता है?
पार्टी के सामने क्या हैं मुश्किलें?
अगर पार्टी किसी नए चेहरे का चयन करने का फैसला लेती है तो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाना काफी अहम होगा. चूंकि, कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता अजय भट्ट को पहले ही केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया जा चुका है, ऐसे में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के लिए गढ़वाल के एक ठाकुर या राजपूत नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो सतपाल महाराज या धन सिंह रावत, जो गढ़वाल के प्रमुख ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा चेहरा बनकर उभर सकते हैं. (इनपुट- भाषा)
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कौन बनेगा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री? अमित शाह के आवास पर BJP नेताओं की अहम बैठक