भारत का पहला इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) 23 करोड़ की लागत से अटारी में इंस्टॉल किया गया है. फुल बॉडी ट्रक स्कैनर (FBTS) को लेकर कुछ एजेंसियों ने अपनी चिंता जाहिर की थी और उसे हटा दिया गया है. अब केंद्र सरकार से नए एफबीटीएस लगाने की अपील की गई है जिसमें ज्यादा सुविधाएं हों. अटारी बॉर्डर पाकिस्तान से सटे होने की वजह से भारत-पाक व्यापारिक गतिविधियों के लिए अहम है. साथ ही, इन दिनों अफगानिस्तान से भी व्यापार के लिहाज से यह जरूरी मार्ग है.
कस्टम कमिश्नर राहुल नानगारे का कहना है, 'आईसीपी अटारी पर फिलहाल जो एफबीटीएस लगाए गए हैं वो लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से लगाए गए हैं. एलपीएआई अब काम नहीं कर रहा है. ऐसी जानकारी भी मिली है कि उन्होंने भी उसे हटाने का काम कर लिया है. हमने नए एफबीटीएस लगाने के लिए एलपीएआई और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (सीबीआईसी) के पास मुद्दा उठाया है.'
आईसीपी पर सुरक्षा मजबूत करने और अवैध सामानों की तस्करी जिनमें हथियार भी शामिल हैं, ड्रग्स वगैरह पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने संवेदनशील सीमाओं पर एफबीटी लगाने का फैसला किया है. जिन सीमाओं पर फुल बॉडी ट्रक स्कैनर लगाया गया है, वे अटारी, पेट्रापोल, रक्सौल, पुंछ-चाकांदा बाग और उरी-इस्लामाबाद बैरियर हैं.
एफबीटीएस इंस्टॉल किए जाने से पहले आईसीपी पर ट्रकों की औचक जांच की जाती थी. हालांकि, एफबीटीएस लगाने के बाद भी अवैध सामानों की तस्करी को रोकने में पूरी तरह सफलता नहीं मिली तो सुरक्षा एजेंसियों ने इसे हटाने का सुझाव दिया है. एफबीटीएस को जिस उद्देश्य से लगाया गया था वह भी पूरा नहीं हो पाया जिसके बाद इसे हटाने का सुझाव दिया गया है. अब एक बार फिर से आईसीपी पर ट्रकों की जांच मैन्युअली हो रही है और इसमें बहुत वक्त लग रहा है. मैन्युअली जांच की वजह से गलतियां छूटने की गुंजाइश भी रहती है.
इस वक्त बहुत सी वजहों से पाकिस्तान के साथ कोई व्यापार नहीं हो रहा है लेकिन अफगानिस्तान भेजी जाने वाली रसद की मदद इसी रास्ते से हो रही है. हाल ही में अफगानिस्तान गेंहूं पहुंचाकर बहुत सी खाली ट्रक वापस आए हैं. ये सभी ट्रक पाकिस्तानी क्षेत्र से होकर आए हैं. बता दें कि संकटग्रस्त अफगानिस्तान को भारत की ओर से गेहूं की सहायता दी जा रही है.
कस्टम कमिश्नर नानगारे ने बताया, 'हमने अभी तक 8,000 मीट्रिक टन गेंहू अफगानिस्तान भेजा है और 2,000 मीट्रिक टन इस सप्ताह भेजा जाना है. इसके साथ ही मदद की पहली खेप में 1000 मीट्रिक टन गेंहू का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. हमें विदेश मंत्रालय से अगले 1,000 मीट्रिक टन गेंहू भेजने के लिए भी शेड्यूल मिल गया है और हमें पूरा भरोसा है कि दूसरी खेप भेजने का काम भी बिना किसी रुकावट के पूरा होगा.'
आईसीपी पर एक्सरे डिवाइस एफबीटीएस का परिचालन सितंबर 2021 में शुरू हुआ था लेकिन यह तस्करी और अवैध सामान वगैरह को पकड़ने में नाकाम रही थी. बता दें कि 2017 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 5 अलग-अलग बॉर्डर पर एफबीटीएस लगाए जाने का ऐलान किया था.
(रवींद्र सिंह रॉबिन वरिष्ठ पत्रकार हैं और 20 साल से इस पेशे में हैं. सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं. पत्रकारिता से इतर यात्राएं करना खूब पसंद करते हैं.)
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अटारी बॉर्डर से तस्करी के सामान की पहचान में नाकाम रहने के बाद हटाए गए FBTS, समझें पूरा मामला