डीएनए हिंदी: उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रबंधन एवं वनस्पति अध्ययन शाला में क्यूआर कोड का प्रयोग शुरू कर दिया गया है. यानी अब QR code स्कैन करते ही विद्यार्थियों और शोधार्थियों के साथ आम लोगों को पेड़-पौधे अपनी जानकारी खुद बताएंगे.
दरअसल पर्यावरण प्रबंधन व वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला ने अपने परिसर क्षेत्र में करीब 30 पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए हैं साथ ही उनका डेटा एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन अपलोड किया है. इससे क्यूआर कोड स्कैन करते ही मोबाइल पर पेड़-पौधों की प्रजाति, किस्म, नाम और औषधीय गुणों की जानकारी आ जाएगी.
बता दें कि यह पहल विद्यार्थियों, शोधार्थियों और सामान्य जिझासुओं की सुविधा एवं जन जागरूकता के लिए शुरू की गई है.
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वहीं इसे लेकर अतिथि शिक्षक डॉ मुकेश वाणी ने बताया, यहां कई सारी ऐसी प्रजातियां हैं जो अपने आप में अलग पहचान रखती हैं. साथ ही यहां इस साल से एग्रीकल्चर विषय भी शुरू हुआ है, ऐसे में इस अनूठी पहल से शोधकर्ताओं के लिए सुविधा होगी. मोबाइल से आसानी से क्यूआर कोड स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी चंद सेकंड में आपके पास उपलब्ध हो जाएगी.
डॉ. वाणी ने बताया, इस कार्य के लिए सबसे पहले कंप्यूटर पर ऑनलाइन क्यूआर कोड जनरेट किए गए. इसके बाद संबंधित पेड़-पौधे से जुड़ी जानकारी अपलोड की. जल्द ही इसमें जीपीएस सिस्टम जोड़ा जाएगा जिससे स्कैन करते ही यह पता चल सकेगा कि संबंधित पेड़ किस अक्षांश-दिशांश में है.
इन पेड़-पौधों पर लगाया क्यूआर कोड
अध्ययनशाला परिसर में लगे शिरीष, कदंब, महुआ, रत्ती, रीठा, नीम, खिरनी, सुदर्शन, हरसिंगार, परिजात, शतावरी, अमलतास सहित अन्य पेड़-पौधों पर पहले चरण में क्यूआर कोड लगाया है.
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Ujjain के विक्रम विश्वविद्यालय की अनूठी पहल, अब क्यूआर कोड स्कैन करते ही पेड़ खुद बताएंगे अपनी जानकारी