डीएनए हिंदी: जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठनों में ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) नया नाम है. टीआरएफ कोई नया संगठन नहीं है बल्कि आतंकी संगठन जैश और लश्कर के कैडर्स के नाम बदल दिए गए हैं. एक साल के दौरान दो दर्जन से ज्यादा लोगों की हत्या की जा चुकी है. सुरक्षाबलों का मानना है कि 2019 में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से टीआरएफ की गतिविधियां बढ़ी हैं. सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि सीमा पार से ISI हैंडलर्स ने ही लश्कर-ए-तैयबा की मदद से TRF को खड़ा किया.
ISI के रणनीति के तहत बदलते रहते हैं नाम
जम्मू कश्मीर पुलिस में 2016 से 2018 तक DGP रहे एसपी वेद बताते हैं कि ‘TRF में कुछ नया नहीं है बल्कि आतंकी संगठन जैश और लश्कर के कैडर्स को ही नया नाम दिया गया है. पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ISI की रणनीति के तहत ये नाम बदलते रहते हैं.’ 1990 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के गठन के बाद ये पहली बार है कि जब किसी मिलिटेंट संगठन को गैर इस्लामिक नाम दिया गया है.
नजदीक से गोली मारने की नई रणनीति
दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि नए नाम से संगठन खड़ा करने का मकसद ये हो सकता है कि इंटरनेशनल मीडिया में यह संदेश जाए कि धारा 370 हटाए जाने से नाराज हुए आम युवा कश्मीरियों ने नए सिरे से मिलिटेंसी शुरू की है. वे बताते हैं कि- ‘नई परिस्थितियों में जब कैडर घट रहा है और हथियारों की सप्लाई ठीक से नहीं हो पा रही तब ऐसे में आतंकी लक्ष्य बनाकर हत्याएं कर रहे हैं और छोटे हथियारों जैसे पिस्टल वगैरह का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे उनके संसाधनों की बर्बादी कम होगी और दहशत का माहौल ज्यादा से ज्यादा बनेगा.
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