डीएनए हिंदीः इस साल से विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) लिया जाएगा. इस फैसले पर तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है. प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) आयोजित करने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया गया है. भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है.
कुछ दिनों पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट घोषणा की थी. अब से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक कार्यक्रमों सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट आयोजित कराया जाएगा.
जानिए क्या कहता है प्रस्ताव
प्रस्ताव में लिखा गया है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीयूईटी और एनईईटी जैसे टेस्ट देशभर में विविध स्कूली शिक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर देगें. स्कूलों में समग्र विकास, सीखने की प्रासंगिकता कम हो जाएगी और छात्रों को अपनी प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर रहना पड़ेगा.
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विधानसभा में रखे प्रस्ताव में कहा गया है कि तमिलनाडु के लोगों ने महसूस किया कि सीयूईटी केवल कोचिंग सेंटरों को बढ़ावा देगा और नियमित स्कूली शिक्षा के साथ इस तरह की प्रवेश परीक्षा लागू करने से विद्यार्थियों पर मानसिक तनाव पैदा होगा.
सदन ने महसूस किया कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित प्रवेश परीक्षा सभी छात्रों को समान अवसर नहीं देती है. सभी विद्यार्थी देश भर में विभिन्न राज्य बोर्ड पाठ्यक्रअनुसार अध्ययन करते हैं. एक एनसीईआरटी पाठ्यक्रम-आधारित प्रवेश परीक्षा विद्यार्थियों के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में बाधा पैदा करेगी.
प्रस्ताव में तमिलनाडु के संदर्भ में कहा गया है कि इससे विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उनके संबद्ध कॉलेजों में राज्य के छात्रों की संख्या में भारी कमी आने की संभावना है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि यह प्रस्ताव तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को दर्शाता है. तमिलनाडु के 8.5 करोड़ लोगों की ओर से, मैं केंद्र सरकार से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट को वापस लेने का अनुरोध करता हूं.
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अन्नाद्रमुक विधायक और पूर्व मंत्री के.पी. अंबालागन ने विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी और पार्टी के डिप्टी फ्लोर नेता ओ. पनीरसेल्वम की उपस्थिति में अपनी पार्टी की ओर से प्रस्ताव का समर्थन किया. श्री अंबालागन ने कहा कि दिवंगत अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता हमेशा राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ी होती थीं.
कांग्रेस के फ्लोर लीडर के. सेल्वापेरुन्थगई (श्रीपेरंबुदूर), पीएमके के फ्लोर लीडर जी.के. मणि (पेनाग्राम), वीसीके के नेता एम. सिंथनाई सेलवन (कट्टूमन्नारकोइल), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एम. चिन्नादुरई (गंधर्वकोट्टई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टी. रामचंद्रन (थल्ली), पापनासम विधायक एम.एच. जवाहिरुल्ला, तिरुचेनगोडु के विधायक ई.आर. ईश्वरन, वासुदेवनल्लूर के विधायक टी. साथन थिरुमलाई कुमार और पनरुती के विधायक टी. वेलमुरुगन ने भी प्रस्ताव के समर्थन में बात की.
भाजपा के फ्लोर लीडर नैनार नागेंदिरन (तिरुनेलवेली) ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, तिरुचि में भारतीय प्रबंधन संस्थान और तिरुचि में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रवेश के लिए कई वर्षों से परीक्षा चल रही है. उन्होंने प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. ध्वनि मत के बाद, अध्यक्ष एम. अप्पावु ने घोषणा की कि 234 सदस्यीय सदन में प्रस्ताव को "सर्वसम्मति से" स्वीकार कर लिया गया है.
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