डीएनए हिंदी: कर्नाटक (Karnataka) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की करारी हार हुई है, जिससे उबरने में पार्टी को अब लंबा वक्त लगेगा. दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी के पास इकलौता राज्य कर्नाटक था, जहां उसकी सत्ता थी. अब बीजेपी पर क्षेत्रीय छत्रप गठबंधन में सीटे कम करने का दबाव बनाएंगे. बिना सहयोगियों के बीजेपी का दक्षिणी राज्यों में पांव जमा पाना भी बेहद मुश्किल होने वाला है.
सियासी गलियारों में अब ऐसी चर्चा है कि तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी अन्नाद्रमुक (AIADMK) अब गठबंधन में शर्तें तय करेगी. बीजेपी की बेचैनी में यह तथ्य भी शामिल है कि पार्टी के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई कर्नाटक के संयुक्त प्रभारी थे. बीजेपी की हार ने एआईएडीएमके को बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के खिलाफ लाभ उठाने का एक मौका दिया है.
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AIADMK तय करेगी BJP की राज्य में सियासत
एआईएडीएमके इस तथ्य से उत्साहित है कि 2021 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 75 सीटों पर जीत हासिल की, जो कर्नाटक में बीजेपी को मिली सीटों से 10 ज्यादा है. ईपीएस के तहत अन्नाद्रमुक बीजेपी के साथ गठबंधन से बाहर निकलने के कगार पर थी, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता बीजेपी के साथ गठबंधन को खत्म करने की मांग कर रहे थे.
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क्यों बीजेपी से नाराज हैं AIADMK कार्यकर्ता?
पार्टी कैडर रिपोर्ट कर रहे थे कि भाजपा के साथ संबंधों के कारण पार्टी अपना अल्पसंख्यक आधार खो रही है. कर्नाटक में हार से बीजेपी को एआईएडीएमके की ओर से दिए गए ऑफर को मानना ही होगा.
तमिलनाडु BJP के प्रदेश अध्यक्ष, के अन्नामलाई के अहंकार और एआईएडीएमके के खिलाफ उनके बयानों की वजह से बीजेपी और एआईएडीएमके के कार्यकर्ताओं में दूरी बनी हुई है. (इनपुट: IANS)
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