डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने चार साल के बाद महाराष्ट्र में बुल रेस (Bull Race in Maharashtra) फिर से शुरू करने की इजाजत दे दी है. ये अनुमति उन्हीं शर्तों और नियमों पर दी गई है जो कर्नाटक और तमिलनाडु द्वारा पशु क्रूरता निवारण के संशोधित अधिनियम में उल्लिखित हैं. 

महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राज्य में बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था. राज्य सरकार ने कहा कि उसे भी इस दौड़ की इजाजत मिलनी चाहिए क्योंकि तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी इसका आयोजन हो रहा है.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष राज्य ने 2017 के नियमों का हवाला देते हुए बैलगाड़ी दौड़ आयोजित कराने की अनुमति मांगी थी.

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में जल्लीकट्टू, बैल-दौड़ और बैलगाड़ी दौड़ पर देश भर में प्रतिबंध लगा दिया था. उस वक्त इसके पीछे वजह पीसीए अधिनियम के प्रावधानों को बताया गया था. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बुल रेस जैसे आयोजन  पीसीए अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. हालांकि कर्नाटक और तमिलनाडु ने नियमित बैल दौड़ की अनुमति देने के लिए पीसीए अधिनियम में संशोधन किया था. जो अब भी चुनौती के अधीन हैं और 3 साल से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने रखा अपना पक्ष
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मुंबई हाईकोर्ट ने उन नियमों को लागू करने पर रोक लगाई थी, जिनके जरिए राज्य सख्त नियमन के तहत बैलगाड़ी दौड़ करवाना चाहता था.उन्होंने पीठ से कहा, यह प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए और हमें 2017 के नियमों के अनुरूप दौड़ संचालित करने की अनुमति दी जाए. 

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supreme court permits resumption of bull race in maharashtra after four years
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फिर शुरू होगी महाराष्ट्र में बुल रेस
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