डीएनएन हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर आरोप लगाने वाली एक याचिका पर सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ही 25 लाख का जुर्माना लगाया है. याचिकार्कता के वकील की याचिका वापस लेने के निवेदन को भी कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'थप्पड़ मारकर सॉरी बोलने जैसा'
सर्वोच्च अदालत ने वकील के याचिका वापस लेने के निवेदन को नहीं माना. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बिल्कुल वैसा है जैसा किसी को थप्पड़ मारने के बाद सॉरी बोलना हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना किसी सबूत के ऐसे निराधार आरोपों से बचना चाहिए. 

HC के जजों, सॉलिसिटर जनरल पर लगाए थे गंभीर आरोप 
दरअसल कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट के पास एक याचिका आई थी. इस याचिका में दावा किया गया था कि याचिकार्ता इंदौर के शाही होल्कर परिवार के ट्रस्ट की जमीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त के कथित घोटाले का व्हिसल ब्लोअर है. याचिकाकर्ता ने इस मामले में यह भी दावा किया था कि उत्तराखंड हाई कोर्ट के जज, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कुछ दूसरे नामी-गिरामी लोगों ने सही तरीके से जांच नहीं की है.

SC ने लगाई फटकार 
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए  दो जजों का पैनल गठित किया था. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। दो जजों की बेंच ने कहा कि इस तरह की याचिका दाखिल करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए था. बिना किसी सबूत के ऐसे गंभीर आरोप लगाना निंदनीय है.

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supreme court imposes Rs 25 lakh fine on a plea says its like first you slap someone and than say sorry
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Supreme Court की याचिका पर तल्ख टिप्पणी, 'थप्पड़ मारकर सॉरी बोलने जैसा'
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