Goa News: गोवा में सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड के कन्वर्जन पर रोक लगा दी है. हालांकि यह रोक अस्थायी रूप से लगाई गई है, लेकिन इससे विपक्षी दल कांग्रेस को भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ सियासी मुद्दा मिल गया है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को रियल एस्टेट माइंडेड बताते हुए उन पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने रियल एस्टेट हितों को फायदा पहुंचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के नियमों की अनदेखी की है.
1.2 करोड़ वर्ग मीटर जमीन को रियल एस्टेट के लिए खोलने का है विवाद
दरअसल इस पूरे विवाद की जड़ में साल 2021 में राज्य सरकार द्वारा गठित की गई 'रिव्यू कमेटी (RC-II) है. इस कमेटी को पहले बनाई गई थॉमस एंड अराउजो कमेटी की तरफ से चिह्नित की गई प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड के पुनर्मूल्यांकन का काम सौंपा गया था. इस पुनर्मू्ल्यांकन के दौरान RC-II कमेटी ने करीब 271 सर्वे नंबरों को 'वन भूमि' की श्रेणी से हटा दिया है. इससे राज्य में करीब 1.2 करोड़ वर्ग मीटर से अधिक भूमि का भू-उपयोग बदलकर संभावित रियल एस्टेट डेवलपमेंट की राह खोल दी है. इसका पर्यावरण संरक्षक विरोध कर रहे हैं और इससे राज्य की जैव विविधता पर बुरा असर पड़ने की आशंका जता रहे हैं.
कांग्रेस बोली- असली लड़ाई अभी बाकी है.
राज्य सरकार के प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड को रियल एस्टेट के लिए खोलने के फैसले की कांग्रेस तीखी आलोचना कर रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपने X (पहले ट्विटर) हैंडल पर लिखा,'सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गोवा की प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड के कन्वर्जन पर कम से कम अस्थायी तौर पर रोक लगाई है. इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी स्पष्ट निर्देश दिए थे कि डिनोटिफाइड फॉरेस्ट लैंड पर विकास तब तक न हो, जब तक भौतिक सत्यापन पूरा न हो जाए, लेकिन यह प्रक्रिया कभी पूरी नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर्फ एक अस्थायी राहत है. असली लड़ाई अभी बाकी है, क्योंकि गोवा के मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान इन वनों को रियल एस्टेट विकास के लिए खोलने पर है.'
The Supreme Court has very recently halted the conversion of Goa’s private forest land at least for the time being. Much earlier, the National Green Tribunal too had
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 19, 2025
prohibited development of denotified forest land until physical verification of all plots was completed. This was…
NGT ने 2023 में दिया था भौतिक सत्यापन का निर्देश
इससे पहले सितंबर 2023 में NGT ने राज्य सरकार को प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड के भौतिक सत्यापन का निर्देश दिया था. NGT ने कहा था कि राज्य सरकार RC-II कमेटी की डिनोटिफाई की गई भूमि का भौतिक सत्यापन करे और जब तक यह प्रक्रिया पूरी न हो, तब तक किसी भी प्रकार की विकास अनुमति न दी जाए. इस मामले में सांकोले के सर्वे नंबर 257/1 को लेकर सबसे अधिक सवाल उठ रहे हैं, जहां अब एक बड़ा कमर्शियल प्रोजेक्ट प्रस्तावित है. सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद कांग्रेस ने मांग की है कि RC-II की संपूर्ण प्रक्रिया का ऑडिट कराया जाए, डिस्प्यूटेड प्लॉट्स पर सभी विकास कार्यों पर रोक लगे, और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की जवाबदेही तय की जाए, जो उस समय वन विभाग भी खुद संभाल रहे थे. अभी तक BJP या राज्य सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है.
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गोवा में प्राइवेट फॉरेस्ट लैंड के कन्वर्जन पर 'सुप्रीम' रोक, कांग्रेस ने साधा CM सावंत पर निशाना