डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राजस्थान के कोटा शहर के रहने वाले महमूद अंसारी (mahmood ansari) को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. अंसारी को यह मुआवजा जिंदगी के 32 साल के संघर्ष के बाद मिला है. जिसमें उन्होंने देश के लिए 14 साल तक पाकिस्तान की जेल में बिताए और यातनाएं झेली. हालांकि, महमूद अंसारी इस मुआवजे से संतुष्ट नहीं हैं. 

दरअसल, महमूद अंसारी (mahmood ansari spy) ने दावा किया कि 1970 के दशक में भारत की एक खुफिया एजेंसी ने उसे तीन बार जासूसी के लिए पाकिस्तान भेजा था. दो बार वह मिशन में कामयाब रहे लेकिन तीसरी बार वह पकड़े गए. उन्हें जासूसी के आरोप में 14 साल तक पाकिस्तान की जेल में रहना पड़ा. इस दौरान उसे बहुत यातनाएं दी गईं. 14 साल बाद सजा काटकर जब वह वापस भारत आए तो उनकी नौकरी चली गई. जासूस बनने से पहले अंसारी डाक विभाग में नौकरी करते थे. लेकिन जासूस बनाए जाने से अचानक उन्हें बिना बताए नौकरी छोड़कर जाना पड़ा. इस दरमियान उनकी डाक विभाग की नौकरी चली गई.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया 10 लाख का मुआवजा
इसी नौकरी को पाने और उसका हर्जाना मांगने के लिए वह 32 साल से भारत सरकार के डाक विभाग से लगातार संघर्ष कर रहे हैं. सरकार से जब उन्हें राहत नहीं मिली तो महमूद अंसारी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इंसाफ की गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को 'असामान्य तथ्यों और परिस्थितियों' पर आधारित मानते हुए 10 लाख रुपये के मुआवजे का तो ऐलान कर दिया लेकिन अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय अंसारी के 'भारतीय जासूस' होने और जासूसी के उद्देश्य से पाकिस्तान मिशन पर जाने के दावे को खारिज कर दिया.

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सरकार ने भी नहीं माना भारतीय जासूस
केंद्र सरकार की तरफ से  एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारत सरकार का महमूद अंसारी से कोई लेना-देना नहीं है. वहीं, अंसारी के वकील समर विजय सिंह ने कहा उनके जासूस होने के सभी सबूत, जैसे डाक विभाग, भारतीय जांच एजेंसियों के बीच सभी कम्यूनिकेशन की डिटेल कोर्ट के सामने पेश किए. जिससे यह साबित होता है कि अंसारी   स्पेशल ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस के लिए काम करते थे और उसी के आधार पर उन्हें मुआवजा देने का आदेश जारी किया गया है.

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बेटी बोलीं- नहीं मिला पिता को पूरा इंसाफ
लेकिन मुआवजे की राशि से महमूद अंसारी संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने जिंदगी के 14 साल देश की सुरक्षा में कुर्बान किए, जिसका आज मुझे ये फल मिल रहा है. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर काफी कर्ज है, बीमारियों से गुजर रहा हूं. बुढ़ापे में मेरे पास पैसा नहीं होने से कई तरह की परेशानियां परिवार को झेलनी पड़ रही है. अंसारी के एक बेटी है. उन्होंने कहा कि मुझे डाक विभाग में नौकरी का हर्जाना मिलना चाहिए. वहीं, उनकी बेटी फातिमा का कहना है कि जब उनके पिता को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया उस समय वह सिर्फ 11 महीने की थी, उन्होंने कहा कि उनके पिता को 'पूरा इंसाफ' नहीं मिला है.

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Supreme Court gives compensation of Rs 10 lakh to Indian spy Mahmood Ansari
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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जासूस महमूद अंसारी को दिया 10 लाख रुपये मुआवजा
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सुप्रीम कोर्ट ने महमूद अंसारी को दिया 10 लाख रुपये का मुआवजा
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सुप्रीम कोर्ट ने महमूद अंसारी को दिया 10 लाख रुपये का मुआवजा 

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देश ने भुला दिया वो जासूस! जिसने जेल में सहा टॉर्चर, कुर्बान किए जिंदगी के 14 साल