डीएनए हिंदी: श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के इस्तीफे के बाद देश में आपताकाल लगा दिया गया है. जिसके बाद श्रीलंका में संकट और गहरा गया है. फ्लाइटें ईंधन की कमी के चलते टेक ऑफ या लैंडिंग नहीं कर पा रही हैं. इस बीच श्रीलंका के 120 से अधिक विमानों ने भारत के तिरुवनंतपुरम और कोच्चि एयरपोर्ट पर तकनीकी लैंडिंग की है. इसके अलावा चेन्नई हवाई अड्डे को भी श्रीलंका के कई विमान ईंधन भरने के लिए विकल्प चुन रहे हैं. केंद्रीय उड्डयनमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संकटग्रस्त राष्ट्र की मदद के लिए केरल में तिरुवनंतपुरम और कोच्चि इंटरनेशनल हवाई अड्डे की सराहना की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'इन एयरपोर्ट ने ड्यूटी से परे जाकर श्रीलंका से आने वाली 120 से अधिका फ्लाइट्स को टेक्निकल लैंडिंग की इजाजत दी. यह कदम हमारे पड़ोसी देश के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा.भारत ने कहा कि श्रीलंका में स्थिति बेहद संवदेनशील है और वह इस जरूरत के समय द्वीप राष्ट्र की मदद करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
Kudos Trivandrum & Kochi airports for demonstrating the Indian spirit of वसुधैव कुटुम्बकम्!
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) July 13, 2022
The airports have gone beyond their call of duty by allowing technical landing to 120+ aircraft bound for Sri Lanka. The gesture will go a long way in furthering ties with our neighbour.
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इस्तीफा देकर भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे
श्रीलंका (Sri Lanka) पिछले कुछ महीनों से आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे देकर मालदीप भाग गए हैं. इसके बाद लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन को रोकने के लिए एक बार फिर श्रीलंका में आपातकाल (Emergency) लगा दिया गया. देश में आपातकाल लगाने का फैसला श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने लिया. इस साल श्रीलंका में यह दूसरी बार आपातकाल लगाया गया है. इससे पहले 8 मई 2022 को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे इमरजेंसी की घोषणा की थी.
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कर्ज में डूबा श्रीलंका
जानकारों का कहना है कि श्रीलंका में यह संकट कई सालों से पनप रहा था, जिसकी वजह सरकार का गलत प्रबंधन भी माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले 10 साल में श्रीलंका की सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं के लिए विदेशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली. बढ़ते कर्ज और कई दूसरी चीजों ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया. आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. श्रीलंका के ऊपर विदेशी कर्ज की रकम उसकी कुल GDP का 104 प्रतिशत हो चुका है. वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि वह कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है. उसे विदेशी कर्ज चुकाने के लिए फिलहाल 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है.
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Sri Lanka Crisis: केरल एयरपोर्ट पर क्यों उतर रहे हैं श्रीलंका के विमान? जानिए वजह