डीएनए हिंदी: तमिलनाडु में भी दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को 'बैठने का अधिकार' (Sitting Right) मिल गया है. इससे दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों और खासतौर पर महिला कर्मचारियों को बहुत राहत मिल रही है. अन्यथा, दुकान में 10-11 घंटे काम करने के दौरान कर्मचारियों को अपने पैरों पर खड़ा रहना पड़ता था. इसके अलावा कर्मचारियों को घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आने-जाने में 1-3 घंटे का औसत समय सार्वजनिक परिवहनों में बिताना पड़ता है और इस क्रम में अक्सर उन्हें बैठने के लिए सीट नहीं मिल पाती है. जाहिर सी बात है कि इससे उनके पांव, एड़ी और कमर में भयानक दर्द रहने लगता है. तमिलनाडु से पहले केरल में 2019 में दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों को 'बैठने का अधिकार' मिल चुका है. 

शिफ्ट में सिर्फ 20 मिनट का मिलता है ब्रेक

40 साल की एक महिला कर्मचारी ने बताया कि उन्हें पूरे दिन में 20 मिनट खाने का ब्रेक मिलता था. इसके अलावा कर्मचारी अपनी दर्द से राहत पाने के लिए शेल्वस के सहारे टिककर थोड़ी राहत पा लेते हैं. उन्होंने बताया कि दुकान में कस्टमर्स नहीं होने के बावजूद हमें बैठने की इजाजत नहीं मिलती थी. 

रिटेल सेक्टर में काम करने वालों को मिली राहत

भारत का रिटेल कारोबार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और यह अकेले कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 10 फीसदी हिस्सा है. यह सेक्टर अकेले देश में कुल रोजगार का 8 फीसदी नौकरी मुहैया कराता है. दक्षिणी भारतीय राज्यों में बड़े पारिवारिक घरानों द्वारा संचालित ज्वैलरी, साड़ी और कपड़ों की शॉप्स चेन हैं और यहां काम करने वालों में अधिकांश निम्न और मध्यवर्ग की महिलाएं हैं. 

केरल में 2018 में ही लागू हो गया यह कानून

तमिलनाडु के पड़ोसी राज्य केरल में 'बैठने का अधिकार' कानून 2018 में ही लागू कर दिया गया था. केरल में टेक्सटाइल शॉप्स पर काम कर रहे दुकानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए काम कर रहे संगठनों की लगातार मांग के बाद इस कानून को राज्य में लागू किया जा सका. वर्किंग वूमन्स कॉर्डिनेशन कमिटी के तमिलनाडु राज्य की संयोजिका एम. धनलक्ष्मी ने कहा कि इस कानून की मांग बहुत लंबे से हमलोग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि काम के दौरान लंबे समय तक खड़े रहने से महिला कर्मचारियों के नसों में सूजन की बीमारी बहुत आम है.
 

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sitting right to sales boy or sales girls in shops and malls in India Tamil Nadu kerala
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भारत के सिर्फ दो राज्यों में 'बेठने का अधिकार' लागू
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भारतीय दुकानों में कर्मचारियों को पूरे दिन बैठने को नहीं मिलता है.
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