डीएनए हिंदी: सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट (Rail Ticket) में मिलने वाली 50 प्रतिशत छूट दोबारा शुरू नहीं होगी. केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने ट्रेन किराये में छूट देने से साफ मना कर दिया है. अश्वनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में बताया कि रेलवे के पैसेंजर सेगमेंट का किराया पहले से ही कम है और अलग-अलग कैटेगरी में टिकट रियायत देने पर सरकार के खाजने पर भारी बोझ पड़ेगा. इसलिए इसे बहाल करने की कोई योजना नहीं है.
बता दें कि कोरोना महामारी के कारण ट्रेनें बंद की गई थी. तब से सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट में मिलने वाली 50 प्रतिशत की छूट को बंद कर दिया गया था. हाल ही में खबरें आईं कि एक बार फिर ट्रेनों में सीनियर सिटीजंस को मिलने वाली छूट को बहाल किया जाएगा. हाालांकि भारतीय रेलवे (Indian Railways Latest News) द्वारा इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी. लेकिन अब रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बुजुर्ग यात्रियों को रियायती टिकट (Concession Ticket) की सेवा फिर से शुरू किए जाने से साफ इंकार कर दिया है.
छूट से 2 साल में रेलवे को हुआ 1,667 करोड़ का घाटा
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेल ने दिव्यांगजनों की चार श्रेणियों, रोगियों एवं छात्रों की 11 श्रेणियों में किराये में छूट देना जारी रखा है. वैष्णव ने लोकसभा में एम आरिफ के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारतीय रेल सीनियर सिटीजंस समेत यात्रियों के लिए यात्रा लागत पर 50 प्रतिशत से अधिक का खर्च पहले से वहन कर रही है. इसके अलावा कोविड-19 के कारण पिछले 2 वर्षों की रेलवे की कमाई 2019-20 की तुलना में कम रही. 2019-20 में किराये में छूट से रेलवे पर 1,667 करोड़ रुपये का बोझ आया था. वैष्णव ने कहा कि इसी कारण वरिष्ठ नागरिकों समेत कई श्रेणियों के किराये में छूट का दायरा बढ़ाना वांछनीय नहीं है.
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रेलवे को कितना हुआ घाटा?
रेलवे फिलहाल 4 तरह के विकलांग कैटेगरी और 11 तरह के मरीजों, छात्रों को रियायती टिकट उपलब्ध कराती है. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इन रियायतों से रेलवे के काफी नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने बताया कि सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट में छूट देने के चलते 2017-18 में रेलवे को 1,491, 2018-19 में 1,636 और 2019-20 में 1,667 करोड़ का घाटा हुआ. उन्होंने बताया कि 2019-20 में 6.18 करोड़ सीनियर सिजीजन ने रेल यात्रा की थी. जबकि 2020-21 में 1.90 करोड़ और 2021-22 में 5.55 करोड़ बुजर्गों ने सफर किया था. साथ ही उन्होंने बताया था कि 2019-20 में 22.6 लाख सीनियर सिटीजन ने रियायती टिकट की सुविधा नहीं ली थी.
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कितनी मिलती थी छूट?
आपको बता दें कि रेलवे कोरोना संकट से पहले यानी मार्च 2020 से पहले सीनियर सिजीजंस के मामले में महिलाओं को किराये में 50 प्रतिशत और पुरुषों को सभी क्लास में 40 प्रतिशत की टिकट पर छूट दी जाती थी. रेलवे की तरफ से ये छूट लेने के लिए बुजुर्ग महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 वर्ष और पुरुषों के लिए 60 वर्ष थी. लेकिन 2020 में आए कोरोना महांसकट की वजह से रेलवे ने बुजुर्गों को मिलने वाली इस रियायत को खत्म कर दिया.
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Indian Railway: सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट में नहीं मिलेगी छूट, रेल मंत्री ने बताई वजह