डीएनए हिंदी: झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. जहां एक तरफ जैन समाज पारसनाथ पहाड़ को अपना पवित्र स्थल बता रहे हैं, वहीं, आदिवासी समाज इसे पवित्र मरांग बुरु कह रहे हैं. इस बीच झारखंड के एक पूर्व सांसद के बयान ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है. पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि पारसनाथ आदिवासियों का मरांग बुरू (देवता की पहाड़ी) है और इसे अगर उन्हें नहीं सौंपा गया तो जैन मंदिरों को बाबरी मस्जिद की तरह ध्वस्त किया जाएगा.
सालखन मुर्मू ने चाईबासा में आदिवासी सेंगल अभियान की एक बैठक के दौरान कहा कि मरांग बुरू हम आदिवासियों के लिए हिंदुओं के राम मंदिर की तरह आस्था का केंद्र है. देश के सभी पहाड़ियों पर आदिवासियों की अधिकार की लड़ाई अब रुकेगी नहीं. उन्होंने कहा कि मरांग मुरू पर अधिकार को लेकर आदिवासी समाज आगामी 11 फरवरी को देशभर में रेल रोको आंदोलन करेगा.
'बाबरी मस्जिद की तरह ढहाये जाएंगे जैन तीर्थ स्थल'
पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने हेमंत सोरेन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जैनियों के हाथों हमारे पवित्र मरांग बुरू को बेचने का काम किया है. उन्होने चेतावनी दी है कि अगर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अल्पसंख्यक आयोग इस विवाद का समाधान नहीं करते हैं तो आदिवासी समाज बाबरी मस्जिद की तरह पहाड़ियों पर स्थित जैन धर्मावलंबियों के मंदिरों को ध्वस्त करने पर मजबूर हो जाएगा.
सम्मेद शिखरजी पर्वत पर विवाद
बता दें कि जैन धर्म में झारखंड के गिरिडीह जिले में मौजूद सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र को सबसे ज्यादा पवित्र महत्व वाला माना जाता है. इसे पारसनाथ या पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है. इस पर्वत क्षेत्र के आसपास के एरिया को झारखंड सरकार ने पारसनाथ फॉरेस्ट रिजर्व व इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजी थी. इसके बाद 2 अगस्त, 2019 को इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था. लेकिन जैन समुदाय इस पर अपना विरोध जताया था. जैन समाज इसे अपना पवित्र स्थल बता रहे हैं.
निगरानी के लिए बनाई जाए समिति
केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले इस मामले में एक निगरानी समिति गठित करने का आदेश दिया था. यह समिति पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-3 की उप धारा-3 के तहत गठित की जाएगी. राज्य सरकार को इस समिति में जैन समुदाय के दो स्थायी सदस्य और स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक स्थायी सदस्य शामिल करने का आदेश दिया है ताकि इको सेंसटिव जोन में सख्ती से कार्रवाई की जा सके.
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'पारसनाथ पर्वत हमें नहीं मिला तो जैन मंदिरों का बाबरी जैसा कर देंगे हाल', पूर्व सांसद का विवादित बयान