डीएनए हिंदी: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के 15 साल बीत गए हैं. हादसे में मारे गए लोगों के परिवार आज भी इंसाफ के इंतजार में है. दिल्ली से लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को 2 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) ब्लास्ट हुए थे जिसमें 68 लोगों की पलभर में दर्दनाक मौत हो गई है. ट्रेन का नंबर 4001 था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की  चार्जशीट के मुताबिक भारत की एकता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने की कोशिश के चलते यह ब्लास्ट किया गया था. विस्फोट में 68 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे. ब्लास्ट की वजह से ट्रेन के दूसरे डिब्बों में भीषण आग लग गई थी. यह हादसा रात 11.53 बजे दिल्ली से 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास हुआ था.

हरियाणा पुलिस ने 19 फरवरी 2007 को इस मामले में एक रिपोर्ट दर्ज की थी. पुलिस की शुरुआती जांच कर रही थी. 20 फरवरी, 2007 को प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए. ऐसा कहा गया कि ये दोनों लोग ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए. इसके बाद धमाका हुआ. पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नकद इनाम देने की भी घोषणा की थी. हरियाणा सरकार ने इस केस के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया था.

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Samjhauta Express Bombing

गुनाहगार कौन, पता नहीं!

गृह मंत्रालय ने जुलाई 2010 में जांच की जिम्मेदारी नेशनल इन्वेस्टिगेशन टीम (NIA) को सौंप दी थी. जून 2011 में एनआईए ने चार्जशीट तैयार की. सप्लीमेंट्री चार्जशीट जून 2013 में तैयार की गई. एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था.

जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे. समझौता ब्लास्ट केस के कुल 8 आरोपी थी. एक आरोपी की मौत हो चुकी है. 4 आरोपी बरी हो गए हैं. 3 आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया गया है. 

NIA ने अपनी चार्जशीट में क्या कहा था?

ट्रायल कोर्ट में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में NIA ने कहा था कि आरोपी जम्मू के रघुनाथ मंदिर और संकट मोचन मंदिर, वाराणसी और दूसरे मंदिरों पर जिहादी आतंकवादी हमलों से परेशान थे. असीमानंद और उनके सहयोगियों ने पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ प्रतिशोध पैदा किया. आरोपी व्यक्ति देश भर में अलग-अलग व्यक्तियों से मिले जिससे साजिश रची जा सके और योजना बनाई जा सके. आरोपी मुस्लिमों से जुड़े जगहों पर हमला करना चाह रहे थे. अगस्त 2014 में केस के मुख्य आरोपी को जमानत मिल गई थी. कोर्ट में एनआईए असीमानंद के खिलाफ सबूत ही पेश नहीं कर पाई थी. 2010 में हरिद्वार से उसकी गिरफ्तारी हुई थी.

बरी हो गए आरोपी

एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक बम को ट्रेन में कमल, लोकेश, राजेंद्र और अमित ने रखा था. मार्च 2019 में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में पंचकुला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने असीमानंद समेत चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया था. इस ब्लास्ट के सभी आरोपियों के खिलाफ पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चला और इस दौरान 224 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे.

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समन के बाद भी कोर्ट में पेश नहीं हुए पाकिस्तानी गवाह 

समझौता ब्लास्ट केस में करीब 299 गवाह थे. उनमें से 13 पाकिस्तानी नागरिक थे. विदेश मंत्रालय जरिए समन देने के बाद भी वे कभी कोर्ट के सामने नहीं पेश हुए. 2013 के बाद से मुकदमे के दौरान कई गवाह मुकर गए.  4 मई, 2018 को एक स्पेशल कोर्ट के जज ने मुकदमे के धीमे ट्रायल को लेकर फटकार लगाई थी. जांच एजेंसी ने गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और देश के कई शहरों में पूछताछ की थी.

क्यों चलती है समझौता एक्सप्रेस?

22 जुलाई 1976 को पहली बार समझौता एक्सप्रेस की शुरुआत हुई थी. अमृतसर से लाहौर के बीच शुरुआत में यह ट्रेन लचाई गई. 1980 में इसे अटारी स्टेशन तक ही जाने दिया जाता था. 1994 से सप्ताह में 2 बार ट्रेन चलने लगी. 2002 से 2004 तक ट्रेन सेवा पूरी तरह से रोक दी गई थी. भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव का असर समझौता एक्सप्रेस पर भी पड़ता है.

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Samjhauta Express bombings 2007 IED Blast NIA Investigation Case timeline all you need to know
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Samjhauta bombings: हादसे के 15 साल पूरे, पलभर में गई थी 68 लोगों की जान
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Samjhauta bombings: हादसे के 15 साल पूरे, पल भर में गई थी 68 लोगों की जान, अब तक नहीं मिला इंसाफ!