Sambhal Jama Masjid: उत्तर प्रदेश के संभल की विवादित जामा मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) ने अदालत में एक एफिडेविट दाखिल किया है. एफिडेविट में एएसआई ने मस्जिद के संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल होने के बावजूद उसमें सरकारी टीमों की एंट्री नहीं होने से लेकर तमाम तरह के आरोप लगाए हैं. एएसआई ने अदालत को यह भी बताया है कि अब जो मस्जिद खड़ी है, वो अतिक्रमणों से मूल ढांचे में हुए बदलाव की शिकार है. यह भी बताया गया है कि अतिक्रमणों और अवैध निर्माण को लेकर कई बार एएसआई की तरफ से नोटिस भी जारी किए गए हैं, लेकिन जिला प्रशासन ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की है.

आइए 5 पॉइंट्स में आपको बताते हैं कि एएसआई ने अदालत को क्या-क्या जानकारी दी है-

1- संरक्षित इमारत, लेकिन एएसआई की एंट्री ही नहीं
एएसआई के एफिडेविट में बताया गया है कि संभल की जामा मस्जिद को साल 1920 में विभाग की हेरिटेज बिल्डिंग्स की लिस्ट में शामिल किया गया है, लेकिन संरक्षित इमारत होने के बावजूद इसमें एएसआई टीमों की ही एंट्री नहीं है. मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए जाने पर हर बार टीमों को बाहर ही रोक दिया जाता है. साल 1998 में मस्जिद का दौरा करने के बाद एएसआई टीम को आखिरी बार इस साल जून में एंट्री मिली थी, लेकिन यह एंट्री जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से मिल पाई थी.

2- 'हम नहीं जानते फिलहाल किस हालत में है मस्जिद'
एएसआई ने कहा कि हमारी टीमों को मस्जिद के अंदर कभी पूरी तरह सर्वे नहीं कर सकी है. इसके चलते मस्जिद आज की तारीख में किस हालत में है, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. मस्जिद के अंदर प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का जमकर उल्लंघन हुआ है. इसकी जांच करने के लिए जाने वाली एएसआई टीमों को भीड़ बाहर ही रोक देती है. लोग स्थानीय पुलिस के पास भी शिकायत लेकर पहुंच जाते हैं. जून में एंट्री मिलने पर देखा गया था कि मस्जिद परिसर में मनमाने निर्माण अवैध तरीके से किए गए हैं. एएसआई ने इसके लिए कुछ लोगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए थे.

3- साल 2018 में कराई गई थी FIR, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं
एएसआई ने कोर्ट को यह भी बताया है कि 19 जनवरी, 2018 में आगरा कमिश्नर ने संभल कोतवाली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर एक FIR भी दर्ज कराई थी. यह FIR मस्जिद की मेन बिल्डिंग की सीढ़ियों के दोनों तरफ स्टील रेलिंग अवैध तरीके से लगाने के कारण दर्ज की गई थी. तब एएसआई के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट ने भी 23 जनवरी, 2018 को संभल जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. आगरा की एडिशनल कमिश्नर (एडमिनिस्ट्रेशन) ने संभल के जिलाधिकारी को 16 फरवरी, 2018 को यह रेलिंग ध्वस्त करने का आदेश दिया था, लेकिन आज तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई.

4- एफिडेविट में दी है इन अवैध निर्माण की जानकारी

  • नमाजियों के लिए बने हौज में बिना इजाजत पत्थर लगाया गया है.
  • मेनगेट से मस्जिद के अंदर आते समय धरती पर कई तरह के पत्थर से फ्लोरिंग कर मूल फर्श को दबा दिया गया.
  • जामा मस्जिद की बिल्डिंग पर इनेमल पेंट से रंग कर दिया गया, जिसके लिए किसी तरह की इजाजत नहीं ली गई.
  • प्लास्टर ऑफ पेरिस के जरिये मूल पत्थर के निर्माण को छिपा दिया गया, जिससे मस्जिद का हेरिटेज स्वरूप खत्म हो गया.
  • मस्जिद के मेन हॉल में गुंबद से कांच का झूमर लोहे की चेन से लटका दिया गया है.
  • मस्जिद की मूल वास्तु के अब गिने-चुने ही अवशेष दिखते हैं, जो आमतौर पर बंद कमरों में हैं.

5- साल 1875 के मुकाबले पूरी तरह बदली मस्जिद
एएसआई ने कहा है कि मस्जिद के जो पुराने रेखा चित्र मौजूद हैं, उनसे तुलना करने पर मौजूदा मस्जिद पूरी तरह अलग दिखती है. 1875-76 के रेखा चित्र में मुख्य बिल्डिंग के सामने के हिस्से के ऊपरी भाग में कमाननुमा स्ट्रक्चर है. इसके छज्जों, बुर्जियों और मीनार का निर्माण बाद में हुई है. टीले पर बनी इमारत के ऊपरी हिस्से में परकोटा भी था. पिछले हिस्से में भूतल पर पुराने कमरे थे. ये कमरे अब दुकानों में बदलकर किराये पर उठा दिए गए हैं. 

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ASI ने दी रिपोर्ट, एंट्री नहीं देने से लेकर अवैध निर्माण तक, 5 पॉइंट्स में पढ़ें
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ASI ने दी रिपोर्ट, एंट्री नहीं देने से लेकर अवैध निर्माण तक, 5 पॉइंट्स में पढ़ें क्या दी है जानकारी

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