डीएनए हिंदी: आज यानी 26 जनवरी को देश 73 वां गणतंत्र दिवस (73rd Republic Day) मना रहा है. इस खास अवसर पर देश के कोने-कोने में हिंदुस्तान की आन-बान और शान कहा जाने वाला तिरंगा फहराया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में सिर्फ तीन जगह ही देश के राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण होता है?
भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) में राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने के दस्तावेज जारी किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि सभी झंडे खादी सिल्क कॉटन के ही होंगे और मानकों के अनुसार ही बनेंगे. यही वजह है कि देश में मात्र तीन जगह राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया जाता है. इनमें मुंबई, कर्नाटक का हुबली और मध्य प्रदेश का ग्वालियर शामिल है. देशभर में केवल इन तीन जगहों पर ही आधिकारिक तौर पर सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए ध्वज तैयार किए जाते हैं.
उत्तर भारत में सिर्फ ग्वालियर में होता है तिरंगे का निर्माण
यहां मध्य भारत खादी संघ राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करता है. बता दें कि महात्मा गांधी के चरखा आंदोलन के दौरान साल 1930 में मध्य भारत खादी संघ की स्थापना की गई थी. संघ तीन कैटेगरी में तिरंगे तैयार करता है. इसके लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग, चक्र का साइज जैसे मानक शामिल हैं. लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है.
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इसके अलावा ध्वज की कटाई, सिलाई और झंडे का नाप भी मानकों के अनुरूप ही रखा जाता है. ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ में कई सालों से राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण हो रहा है और इसे आईएसओ सर्टिफिकेट साल 2016 में मिला. यहां झंडे के अलावा खादी से जुड़ी वस्तुओं का भी निर्माण किया जाता है.
कर्नाटक में KKGSS करता है तिरंगा तैयार
दूसरी ओर कर्नाटक में हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) तिरंगा बनाता है. KKGSS का गठन नवंबर 1957 में हुआ था जिसके बाद यहां 1982 से खादी बनाना शुरू किया गया. साल 2005-06 में इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से सर्टिफिकेशन मिला और इसने राष्ट्रीय ध्वज बनाना शुरू किया.
यहां बनने वाले राष्ट्रीय ध्वज की गुणवत्ता को BIS चेक करता है. हर सेक्शन पर कुल 18 बार तिरंगे की क्वालिटी चेक की जाती है. राष्ट्रीय ध्वज को कुछ मानकों पर खरा उतरना होता है जैसे- KVIC और BIS द्वारा निर्धारित रंग के शेड से तिरंगे का शेड अलग नहीं होना चाहिए, केसरिया, सफेद और हरे कपड़े की लंबाई-चौड़ाई में जरा सा भी अंतर नहीं होना चाहिए, अगले-पिछले भाग पर अशोक चक्र की छपाई समान होनी चाहिए. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के प्रावधानों के मुताबिक, झंडे की मैन्युफैक्चरिंग में रंग, साइज या धागे को लेकर किसी भी तरह का डिफेक्ट एक गंभीर अपराध है और ऐसा होने पर जुर्माना या जेल या दोनों हो सकते हैं.
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अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग होता है झंडे का आकार
जानकारी के अनुसार, सबसे छोटा 6:4 इंच का तिरंगा मीटिंग व कॉन्फ्रेंस आदि में टेबल पर रखा जाता है. VVIP कारों के लिए इसका आकार 9:6 इंच होता है. राष्ट्रपति के VVIP एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए इसका आकार 18:12 इंच, बहुत छोटी पब्लिक इमारत पर लगने वाले झंडे का आकार 5.5:3 फुट, शहीद सैनिकों को पार्थिव शरीर पर लिपटे तिरंगे का आकार 6:4 फुट होता है.
वहीं संसद भवन और मध्यम साइज वाली सरकारी इमारतों के लिए इसका आकार 9:6 फुट, गन कैरिएज, लाल किले और राष्ट्रपति भवन के लिए 12:8 फुट रखा गया है. बहुत बड़ी सरकारी इमारत के लिए तिरंगे का आकार 21:14 फुट है.
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Republic Day 2022: देश में सिर्फ 3 जगहों पर ही होता है तिरंगे का निर्माण, जानिए क्यों?