Odisha Assembly Election 2024: भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनावों में पहली बार बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद राज्य में सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य में पहली बार बनने जा रही भाजपा की सरकार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? यह तय करने की जिम्मेदारी भाजपा नेतृत्व ने दो अनुभवी नेताओं राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को दी है. दोनों को ओडिशा में मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए सेंट्रल ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किया गया है.
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केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं राजनाथ और भूपेंद्र
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव को सेंट्रल ऑब्जर्वर बनाए जाने की जानकारी एक प्रेस रिलीज के जरिये सभी को दी है. राजनाथ और भूपेंद्र, दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर 9 जून को शपथ ली है.
12 जून को होगा ओडिशा में शपथ ग्रहण समारोह
भाजपा प्रवक्ता और शपथ ग्रहण समारोह के इंचार्ज दिलीप मोहंती के मुताबिक, 'ओडिशा में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 12 जून को आयोजित किया जाएगा. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल रहेंगे.' इस लिहाज से देखा जाए तो नए मुख्यमंत्री का चयन आज (सोमवार 10 जून) या मंगलवार (11 जून) को कर लिया जाएगा. ओडिशा में 147 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा ने 78 सीट जीती हैं और पहली बार बहुमत के लिए जरूरी 74 सीटों का आंकड़ा पार किया है. लंबे समय से वहां सत्ता में चल रही बीजू जनता दल (BJD) को 51 सीट और कांग्रेस को 14 सीट ही हासिल हुई हैं.
भाजपा की तरफ से ये 7 चेहरे हैं होड़ में
- धर्मेंद्र प्रधान: ओडिशा में भाजपा का प्रमुख चेहरा रहे धर्मेंद्र प्रधान संबलपुर सीट से 1 लाख से ज्यादा वोट से जीतकर सांसद बने हैं. केंद्रीय मंत्री के अलावा कई राज्यों के चुनाव प्रभारी रहने के चलते उनका प्रशासनिक अनुभव भी बहुत ज्यादा है. साथ ही वे पीएम मोदी के करीबी भी हैं, लेकिन ओड़िया भाषा नहीं बोलना और केंद्र में गठबंधन सरकार में भाजपा के पास अपना बहुमत नहीं होना धर्मेंद्र की राह का रोड़ा बन सकता है. पीएम मोदी फिलहाल एक भी सांसद कम नहीं करना चाहेंगे. इसी कारण प्रधान को फिर से केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है.
- जुएल ओरम: जुएल ओरम भी ओडिशा का बड़ा चेहरा हैं. सुंदरगढ़ से छठी बार सांसद चुने गए ओरम को भी केंद्रीय कैबिनेट में शामिल कर लिया गया है. इसके चलते उनका दावा भी अब कम माना जा रहा है. ओरम को मुख्यमंत्री बनाने पर भी भाजपा को एक सांसद खोना पड़ेगा, जो पार्टी फिलहाल नहीं चाहेगी.
- प्रताप सारंगी: बालासोर सीट से सांसद चुने गए प्रताप सारंगी पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में गिना जाता है. ऐसे में उनका दावा भी मुख्यमंत्री पद पर मजबूत हो सकता है.
- अपराजिता सारंगी: अपराजिता सारंगी भुवनेश्वर सीट से सांसद चुनी गई हैं. उन्हें भी मुख्यमंत्री बनने की होड़ में आगे माना जा रहा है. भाजपा ने सुषमा स्वराज, उमा भारती और वसुंधरा राजे को छोड़ दें तो कभी किसी अन्य महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया है. साथ ही उनके मुख्यमंत्री बनने पर भी सांसद कम होने का खतरा उठाना होगा.
- वैजयंत पांडा: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वैजयंत पांडा का भी दावा मजबूत माना जा रहा है. ओड़िया भाषी होने के चलते भी वे होड़ में हैं. हालांकि मूल रूप से भाजपाई नहीं होना उनकी राह में बाधा बन सकता है.
- गिरीश चंद्र मुर्मू: गुजरात कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड IAS अफसर गिरीश चंद्र मुर्मू का नाम भी होड़ में माना जा रहा है. पीएम मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान मुर्मू उनके प्रधान सचिव थे. पीएम मोदी उन पर कितना यकीन करते हैं, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि उन्हें गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को संभालने का काम दिया गया था.
- मनमोहन सामल: ओडिशा भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल का नाम भी होड़ में है, लेकिन सामल के चंदबली सीट पर हार का सामना करने के कारण उनका दावा थोड़ा कमजोर हो गया है.
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