डीएनए हिंदी: देश की सबसे चर्चित नीरा राडिया टेप विवाद (Radia Tapes Controversy) पर सुप्रीम कोर्ट बिजनेसमैन रतन टाटा की प्राइवेसी याचिका आज सुनवाई करेगा. जस्टिस डीवाई चंद्रचू़ड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले में सुनवाई करेगी. रतन टाटा ने 2011 में राडिया टेप मामले में अपनी निजता का हवाला देते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और इन टेपों को लीक करने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इसके बाद 2014 में आखिरी बार सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में सुनवाई की.

राडिया टेप विवाद साल 2008-09 का है. इस विवाद में उस समय की राजनीतिक पैरवीकार नीरा राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और प्रमुख पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को आयकर विभाग (Income Tax Department) ने टैप कर लिया था. इसमें बिजनेसमैन रतन टाटा और मुकेश अंबानी का फोन भी टेप किया गया था. 

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रतन टाटा-नीरा राडिया की फोन पर बातचीत हुई थी टेप
नीरा राडिया कंपनी टाटा समूह और मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के लिए जनसंपर्क का काम किया करती थी लेकिन टेप के सार्वजनिक हो जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि वह दरअसल इन कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट ब्रोकर का काम कर रही थीं. 2010 में नीरा राडिया की विभिन्न उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों  के साथ फोन पर हुई बातचीत की करीब 940 टेप मीडिया में लीक हुई थी. टेपों से पता चला कि वह अपनी ग्राहक कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किस तरह राजनेताओं और पत्रकारों का इस्तेमाल कर रही थीं. इस बातचीत के बाद से 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नीरा राडिया की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे थे. इन टेप्स में उद्योगपति रतन टाटा से फोन पर की गई बातचीत भी शामिल थी.

राडिया ने बनाई  9 साल में 300 करोड़ की संपत्ति
विवाद बढ़ने के बाद इन टेप्स को केंद्र की मनमोहन सरकार ने अपने कब्जे में लेकर सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया था. सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने शपथ पत्र में कहा था कि नीरा राडिया की बातचीत आयकर महानिदेशालय के निर्देश पर टेप की गई थी. उसके अनुसार वित्त मंत्रालय को मिली एक शिकायत के बाद ऐसा किया गया था. जिसमें राडिया पर सिर्फ 9 साल में 300 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी करने का आरोप लगाए गए थे. सरकार की तरफ से यह भी आरोप लगाया था कि नीरा राडिया विदेश खुफिया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त रही हैं.

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वहीं, इस मामले में टाटा समूह अध्यक्ष रतन टाटा ने 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी. टाटा ने अपनी याचिका में कहा था कि लीक होना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले उनके जीने के मौलिक अधिकार का उल्लघंन है जिसमें निजता का अधिकार शामिल है. अगस्त 2011 में रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट की एक प्रति भी मांगी थी. जिसमें बताया गया था कि कैसे टेप लीक हुई.

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Radia Tapes Controversy controversy Supreme Court to hear Ratan Tata petition after 12 years
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क्या है राडिया टेप विवाद? 8 साल बाद रतन टाटा की याचिका पर SC करेगा सुनवाई
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क्या है नीरा राडिया टेप विवाद? 8 साल बाद रतन टाटा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई