कतर (Qatar) की जेल (Jail) में बंद 8 भारतीय पूर्व सैनिकों (Ex Navy Officers) को स्थानीय अदालत ने रिहा कर दिया है. कतर पुलिस ने जासूसी (Espionage) के आरोपों में पूर्व नौसैनिकों को बंदी बनाया था. 7 पूर्व नौसैनिक भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय ने कतर के इस फैसले का स्वागत किया है.
नौसैनिकों के घर आने पर विदेश मंत्रालय ने खुशी जताई है. इन अधिकारियों को मौत की सजा मिली थी लेकिन गंभीर कूटनीतिक दबावों के चलते अदालत ने निष्पक्षता के साथ जांच कराई, जिसमें नौसैनिकों को बरी कर दिया.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है. उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी कराने के लिए कतर राज्य के फैसले की सराहना करते हैं.'
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उम्रकैद को बदलकर जवानों को मिला था आजीवन कारावास
कतर और भारत के बीच कई स्तर की राजनयिक वार्ता हुई थी. इन कैदियों को मौत की सजा मिली थी, जिसे उम्र कैद में बदल दिया गया था. जेल में बंद नौसैनिकों को रिहा कराने के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी गई. इनके रिश्तेदारों ने विदेश मंत्रालय सो सूचित किया, जिसके बाद भारतीय राजनयिक सक्रिय हुए.
कई स्तर की कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया. मुकदमा लड़ा गया, जिसमें भारतीय पक्ष की जीत हुई. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कतर में कैद कुल आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों में से सात भारत लौट आए हैं. आखिरी शख्स को भी लाने की कोशिश की जा रही है.
क्यों कतर की जेल में पहुंचे थे पूर्व नौसैनिक?
कतर ने 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था. आरोप थे कि वे एक पनडुब्बी पर कथित तौर पर जासूसी कर रहे थे. उन्हें अक्टूबर 2022 में कतर में कैद कर लिया गया था. कोर्ट ने इन्हें दोषी माना था और मौत की सजा सुनाई थी.
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विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अदालत का फैसला हैरान करने वाला है. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के खिलाफ आरोप हटाने के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर काम करेंगे. दहरा ग्लोबल केस में बीते साल भारत के दबाव के बाद नौसैनिकों की मौत की सजा को बदलकर आजीवन कारावास में बदल दिया था.
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Qatar में भारत की बड़ी जीत, जेल से रिहा हुए 8 पूर्व नौसैनिक, 7 लौटे देश