डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि समाज में कई मुद्दों के हल की जरूरत है लेकिन सीधे अदालत का रुख करने से हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता. जनसंख्या नियंत्रण (Population control) को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रखने के प्रति अनिच्छा व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्प्णी की. चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की पीठ सभी राज्यों को नोटिस जारी करने के प्रति भी असंतुष्ट थी.

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की थी. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में सर्वोच्च अदालद से केंद्र और राज्यों को देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने के लिए निर्देश देने की मांग की थी, जिसमें दो बच्चों का कानून लागू करना शामिल है. बेंच ने कहा, ‘आपने याचिका दायर की है. नोटिस जारी किया गया और इस मसले पर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया है. सरकार ने इस समस्या पर अपना दिमाग लगा दिया और अब नीतिगत फैसला लेना उन पर निर्भर है. हमारा काम खत्म हो गया. इसलिए अब हम याचिका का बंद कर देंगे.’ 

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'जब तक कोर्ट संतुष्ट नहीं हो जाती, नहीं जारी करेंगे नोटिस'
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्प्णी तब आई जब पेशे से अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि दरअसल जनसंख्या का विषय संविधान की समवर्ती सूची के तहत आता है, इसलिए राज्य सरकार भी इस पर नियंत्रण के लिए कानून बना सकती है. इसी के आधार पर याचिकाकर्ता ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम इस तरह का नोटिस जारी नहीं करेंगे जब तक कि हम संतुष्ट नहीं हो जाते.’

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'राज्यों के कैसे जारी कर सकते है रिट'
चीफ जस्टिस ने सवालिया लहजे में याचिकाकर्ता से पूछा कि अदालत जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर कैसे राज्यों के लिए रिट जारी कर सकती है. पीठ ने कहा कि एक समाज में हमेशा कुछ न कुछ विवाद रहते हैं और उन विवादों के समाधान की जरूरत होती है. इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि बिना समस्या वाला कोई समाज हो. पीठ ने कहा कि हर समस्या का समाधान अनुच्छेद 32 के तहत नहीं हो सकता. इस अनुच्छेद के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जा सकती है.

(इनपुट-भाषा)

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population control Supreme Court said not every problem will be solved by coming to the court directly
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर समस्या का हल सीधे अदालत आने से नहीं होगा
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जनसंख्या नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कहा- हर समस्या सीधे कोर्ट में हल नहीं होती