डीएनए हिंदीः तीन कृषि कानूनों पर मोदी सरकार ने पिछले एक साल में एक तगड़ा विरोध झेला है. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब सरकार का ध्यान नाराज किसानों को लुभाने पर है. भाजपा अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ गुजरात विधानसभा चुनाव पर भी फोकस कर रही है. शायद इसीलिए मोदी सरकार ने दोबारा से किसानों पर काम करना शुरू कर दिया है. 16 दिसंबर को होने वाला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कृषि संवाद इसका संकेत भी देता है.
16 दिसंबर को विशेष कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तय कार्यक्रम में 16 दिसंबर को एक कृषि संवाद भी है. इसमें देश के विभिन्न राज्यों के किसानों से पीएम मोदी जीरो बजट फार्मिंग पर बातचीत करेंगे. पीएम मोदी ने हाल ही में बलरामपुर के अपने संबोधन में इस कार्यक्रम का जिक्र कर किसानों को इसमें शामिल होने का न्योता दिया था. उन्होंने इस संवाद को किसानों के लाभ से जोड़कर दिखाने की कोशिश की थी. पीएम की पूरी कोशिश है कि इस कार्यक्रम के जरिए देश के किसानों पर पुनः अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत बनाई जा सके.
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भाजपा कर रही है तैयारी
16 दिसंबर को होने वाले प्रधानमंत्री के इस जीरो बजट फार्मिंग संवाद को लेकर भाजपा के नेता स्थानीय स्तर पर लोगों को जुटाने की जुगत में लगे हैं. इसके लिए उस दिन लोगों को चाय पर आने का निमंत्रण भी दिया गया है. भाजपा की प्लानिंग है कि वो देश के अलग-अलग इलाकों में इस संवाद को प्रसारित करने के लिए बड़ी स्क्रीन लगवाएगी. इसके पीछे मात्र एक प्लान है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को भाजपा से जोड़ा जा सके. पार्टी आलाकमान की तरफ से इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए खास निर्देश दिए गए हैं और कार्यकर्ताओं को मंडल स्तर पर जुटने तक के लिए कहा गया है.
विशेषज्ञों से भी हो सकती है बात
गौरतलब है कि पीएम मोदी 14 दिसंबर को गुजरात में होंगे. इस दौरान उम्मीद की जा रही है कि वो राज्य के आणंद जिले में कृषि विशेषज्ञों से भी बातचीत कर सकते हैं. इस बैठक में उनके साथ केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी शिरकत करते नजर आ सकते हैं. खास बात ये है कि 16 दिसंबर के प्रसारण के लिए 741 कृषि विज्ञान केंद्रों को भी जोड़ा जाएगा. यहां से भी लोगों को पीएम की बातें पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे.
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चुनावी साल का प्रेशर
तीन कृषि कानूनों का पहले विरोध फिर कानून वापसी के बीच भले ही मोदी सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की हो लेकिन अभी भी देश में सरकार के प्रति किसानों में रोष दिख रहा है. ऐसे में अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव से पहले मोदी सरकार किसानों को लुभाने के लिए कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती है. इसके अलावा गुजरात चुनाव में पिछली बार पार्टी की बुरी फजीहत हुई थी. ऐसे में पार्टी इन किसानों की निराशा का असर गुजरात तक ले जाने के मूड में नहीं है.
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