डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. दोनों देशों के बीच उपजे इस विवाद को सुलझाने के लिए शांति और निरंतर बातचीत की अपील करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत के संघर्ष में तटस्थ रुख अपनाने का कारण बताया.
विधानसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को विजयी भाषण देते हुए पीएम मोदी ने कहा, आर्थिक, सुरक्षा, शिक्षा के लिहाज से और राजनीतिक रूप से भारत का संबंध युद्ध में शामिल देशों से है. भारत की कई जरूरतें इन देशों से जुड़ी हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत के दोनों देशों के साथ संबंध हैं और शांति और वह निरंतर बातचीत की अपील करते हैं. पीएम ने कहा, युद्ध दुनिया भर के देश को प्रभावित कर रहे हैं. भारत शांति के पक्ष में है और उम्मीद करता है कि सभी समस्याओं का समाधान विचार-विमर्श से होगा.
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उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस की ओर से हमले के खिलाफ सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव पर 141 देशों ने अमेरिकी प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया. 5 देशों ने इसका विरोध किया. भारत समेत 35 देशों ने इस मामले में वोट नहीं किया. भारत और 34 अन्य देश संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस प्रस्ताव से दूर रहे जिसमें यूक्रेन के खिलाफ उसकी सैन्य कार्रवाई को लेकर रूस की निंदा की गई थी. भारत ने यूक्रेन संकट पर महासभा सत्र बुलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से भी परहेज किया था. मॉस्को ने प्रस्ताव के खिलाफ अपने वीटो का इस्तेमाल किया.
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विपक्ष की आलोचना
पीएम मोदी ने यूक्रेन से फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा को क्षेत्रीय बनाने की कोशिश के लिए विपक्ष की भी आलोचना की. पीएम मोदी ने कहा, "इन लोगों ने ऑपरेशन गंगा को क्षेत्रीय बनाने की भी कोशिश की. इन लोगों ने हर योजना को क्षेत्रवाद और सांप्रदायिकता का एक अलग रंग दिया है. यह भारत के भविष्य के लिए एक बड़ी चिंता है. प्रधानमंत्री ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब हजारों भारतीय छात्र, भारतीय नागरिक यूक्रेन में फंसे हुए थे, तब भी देश का मनोबल तोड़ने की बात हो रही थी.
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Russia-Ukraine War पर क्यों तटस्थ है भारत का रुख?