Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक्सेंचर (Accenture) कंपनी के एक कर्मचारी और उसके परिवार के छह सदस्यों को पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी. कर्नाटक के बेंगलुरु में काम कर रहे इस कर्मचारी को केंद्र सरकार की तरफ से पाकिस्तान भेजने का नोटिस मिला था, जबकि अहमद तारक बट नाम के इस कर्मचारी ने अपने पास भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड होने का दावा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने उसके दस्तावेजों के वेरीफिकेशन का आदेश दिया है. वेरीफिकेशन रिपोर्ट आने तक सुप्रीम कोर्ट ने बट और उसके परिवार के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए बट को भी कर्नाटक हाई कोर्ट के पास जाने का निर्देश दिया है.
चलिए आपको 5 पॉइंट्स में पूरा केस समझाते हैं-
1. सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर लगाई है रोक
बेंगलुरु में एक्सेंचर कंपनी में काम कर रहे अहमद तारक बट नाम के कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट से राहत के लिए गुहार लगाई थी. केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) पेश हुए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में सुनवाई करने पर ऐतराज जताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 'थोड़ा मानवीय तत्व' होने की बात कहकर उस पर सुनवाई करने का निर्णय लिया और बट व उसके परिवार के दस्तावेजों की जांच होने तक उन्हें पाकिस्तान भेजने पर रोक लगाई है.
2. अन्य मामलों में मिसाल नहीं माना जाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते समय यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बट के मामले में दिए आदेश को मिसाल नहीं माना जाएगा. इस फैसले को ऐसे ही अन्य मामलों में आधार नहीं बनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश इस कारण दिया है, क्योंकि कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तानी वीजा कैंसिल करने के बाद बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को भी पाकिस्तान भेजने के नोटिस मिले हैं. इनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं.
3. 'पाकिस्तान में पैदा हुए तो भारत कैसे आए?'
सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि अहमद तारक बट का जन्म पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के मीरपुर शहर में हुआ था. यह तथ्य सामने आने पर सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्य कांत ने बट के वकील से पूछा,'वह पाकिस्तान में मीरपीर में पैदा हुआ था. हम जानना चाहते हैं कि वह कैसे और क्यों भारत आया था?' बट ने बताया कि वह 1997 में अपने पिता के साथ भारत आया था, जिनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट है. श्रीनगर पहुंचने पर उन्होंने पाकिस्तानी पासपोर्ट को जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट (Jammu and Kashmir High Court) में सरेंडर कर दिया था. इसके बाद उन्होंने भारतीय पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था, जो उन्हें बाद में मिल गया था. तीन साल बाद मेरे परिवार के अन्य लोग भी भारत आ गए और अब सभी के पास भारतीय नागरिकता और पासपोर्ट है.
4. केरल में IIM से किया है MBA
बट ने कोर्ट को बताया कि उसने और उसके भाइयों ने श्रीनगर के एक निजी स्कूल से पढ़ाई की है. इसके बाद उसने केरल के IIM कोझिकोड (IIM Kozhikode) से MBA की डिग्री ली है. बट ने कहा कि उनके परिवार के पास सारे दस्तावेज होने के बावजूद पिछले सप्ताह उन्हें देश छोड़ने का नोटिस मिला है. यह नोटिस गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जारी किया गया है. नोटिस में कहा गया है कि वे झूठ बोलकर वीजा लेने के बाद भारत में आए हैं और यहां अवैध तरीके से ठहरे हुए हैं.
5. मोदी सरकार ने दिया है क्या आदेश
पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा (Lashkar-e-Taiba) के 4 आतंकियों और 2 स्थानीय कश्मीरी आतंकियों ने 26 आम नागरिकों की हत्या कर दी थी. इसके बाद मोदी सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा कैंसिल कर दिए थे. केवल पाकिस्तान से शरण मांगने के लिए आए हुए हिंदुओं और भारत में लॉन्ग-टर्म वीजा पर रुके हुए पाकिस्तानियों को इससे बाहर रखा गया है. मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर आतंकियों को शरण और फंडिंग देने का आरोप लगाया है.
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